By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 09, 2019
नयी दिल्ली। दिग्गज वकील राम जेठमलानी जम्मू-कश्मीर में शांति प्रयासों के लिए 2002 में बनी समिति के अध्यक्ष रहे थे जिसने प्रदेश के अलगाववादियों से बातचीत कर समस्या का हल खोजने की कोशिश की थी। इस समिति ने अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ कई दौर की वार्ता की, जबकि पार्टी का कट्टरपंथी धड़ा इस बातचीत के खिलाफ था। यहां तक कि दोनों पक्षों ने दिल्ली में पांच सूत्री बयान भी जारी किया।
सिविल सोसायटी के सदस्यों, न्यायविदों और पत्रकारों वाली इस समिति की बातचीत के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी तथा उदारवादी अलगाववादियों के बीच 2004 के शुरुआत में वार्ता हुई। जेठमलानी ने कहा था कि कश्मीर के भविष्य में उन्हें दिलचस्पी है और वह इस मुद्दे को सुलझते हुए देखना चाहते हैं। लेकिन उन्हें हमेशा यह लगता रहा कि 2004 में वाजपेयी सरकार की सत्ता में वापसी नहीं होने से शांति प्रयास को ठेस पहुंचा।