By अनन्या मिश्रा | Nov 29, 2023
जेआरडी टाटा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महान उद्योगपतियों की लिस्ट में शामिल रहे। आज यानी की 29 नवंबर के दिन जेआरडी टाटा का निधन हो गया था। उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह बल्कि आजाद भारत के विकास में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने सबसे लंबे समय तक टाटा समूह की अगुवाई की थी। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जेआरडी टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
बता दें कि 29 जुलाई 1904 को जेआरडी टाटा का जन्म पेरिस में हुआ था। उनके पिता का नाम आरडी टाटा और मां का नाम सुजैन ब्रियरे था। उनकी मां फ्रांस की नागरिक थीं। वहीं उनके पिता आरडी टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बिजनेस पार्टनर होने के साथ ही रिश्तेदार भी थे। जेआरडी टाटा अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। उन्होंने अपनी शिक्षा फ्रांस, जापान और इंग्लैंड से पूरी की थी।
हवाई जहाज से लगाव
जेआरडी टाटा को बचपन से ही हवाई जहाज से गहरा लगाव था। वह मजह 15 साल की उम्र में जब पहली बार हवाई जहाज पर बैठे, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह इस क्षेत्र यानी की उड्डयन में अपना करियर बनाएंगे। उनकी लगन और मेहनत रंग लाई। जेआरडी टाटा ने 24 साल की उम्र में कमर्शियल पायलट का लायसेंस हासिल किया और वह ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति थे।
टाटा एयरलाइंस बनी एयर इंडिया
साल 1931 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। जो आगे चलकर एयर इंडिया के नाम से फेमस हुई। जेआरडी ने अपने कार्यकाल के दौरान एयर इंडिया को बुलंदियों के शिखर पर पहुंचाने का काम किया था। उस दौरान एयर इंडिया की सेवाएं काफी ज्यादा मशहूर रहीं। लेकिन इसके बाद ही उनका हवाई जहाज उड़ाने का शौक कायम रहा। बता दें कि साल 1930 में आगा खान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जेआरडी ने भारत से इंग्लैंड तक अकेले सफर किया था। इस दौरान उन्होंने कराची से बंबई तक की उड़ान भरी थी।
जेआरडी 78 साल की उम्र में भी अपनी एकल उद्घाटन उड़ान को फिर से दोहराया, जिससे कि युवा पीढ़ी में साहस का संचार हो सके। उनको टाटा एयरलाइंस से काफी ज्यादा लगाव था। इसी कारण वह कई बार सफर के दौरान औचक निरीक्षण कर टॉयलेट पेपर की जांच करते थे। बताया जाता है कि एक बार जेआरडी के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर एलके झा सफर कर रहे थे। उस दौरान जब जेआरडी ने पाया कि टॉयलेट पेपर ठीक से नहीं लगा है, तो उन्होंने वह पेपर खुद सही से लगाया।
टाटा समूह की तरक्की
परिवार का व्यवसाय संभालने के लिए जेआरडी को साल 1924 में मुंबई बुलाया गया था। जिसके बाद उन्होंने मुंबई आकर बाम्बे हाउस में टाटा स्टील के प्रभावरी निदेशक जॉन पीटरसन अधीन कार्य करना शुरू किया था। फिर 2 साल बाद उनको टाटा सन्स का निदेशक बनाया गया और साल 1991 तक वह इस ग्रुप के चेयरमैन पद पर रहे। वहीं बाद में उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बल पर टाटा समूह को 14 कंपनियों से 90 कंपनियों का मालिक बना दिया। भारत सरकार ने जेआरडी के योगदान के लिए उनको साल 1955 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वहीं साल 1992 में जेआरडी को भारत रत्न से नवाजा गया।
मृत्यु
स्विट्जरलैंड में 29 नवंबर 1993 को गुर्दे में संक्रमण होने के कारण 89 साल की उम्र में जेआरडी टाटा का निधन हो गया। जेआरडी के निधन के बाद भारत की संसद ने कार्यवाही रद्द कर उनका सम्मान किया था। बता दें कि संसद के सदस्यों को भी इस तरह का सम्मान नहीं दिया जाता है।