Harivansh Rai Bachchan Birth Anniversary: अन्य कवियों से अलग थी हरिवंश राय की काव्य शैली, 'मधुशाला' से मिली पहचान

Harivansh Rai Bachchan
Prabhasakshi

आज भी हम सभी हरिवंश राय बच्चन की कविताएं पढ़ते और सुनते हैं। हरिवंश राय बच्चन की काव्यशैली दिल को छू जाती है। आज यानी की 27 नवंबर को हरिवंश राय बच्चन की बर्थ एनिवर्सरी है। उनकी कविताएं सच्चाई का आइना होती हैं।

आज भी हम सभी हरिवंश राय बच्चन की कविताएं पढ़ते और सुनते हैं। हरिवंश राय बच्चन की काव्यशैली दिल को छू जाती है। बच्चन साहब की कविताएं पढ़ना और सुनना एक अलग तरह के आनंद का अनुभव देती हैं। आज ही के दिन यानी की 27 नवंबर को हरिवंश राय बच्चन का जन्म हुआ था। उनकी कविताएं सच्चाई का आइना होती हैं। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हरिवंश राय बच्चन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक घटनाओं के बारे में...

जन्म और शिक्षा

इलाहाबाद के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बापूपट्टी में 27 नवबंर 1907 को हरिवंश राय बच्चन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और मां सरस्वती देवी था। बचपन में हरिवंश राय को बच्चन कहा जाता था। बच्चन का अर्थ होता है बच्चा या फिर संतान। लेकिन बाद में उन्होंने अपने नाम के आगे से श्रीवास्तव हटाकर बच्चन लगा दिया और वह हरिवंश राय बच्चन के नाम से फेमस हुए। उन्होंने शुरूआती शिक्षा म्यूनिसिपल स्कूल, कायस्थ पाठशाला और गवर्नमेंट स्कूल पूरी की। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साल 1936 में अंग्रेजी साहित्य में एम.ए किया।

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इसके बाद साल 1939 में काशी विश्वविद्यालय से बी.टी.सी. की डिग्री प्राप्त की। काशी विश्वविद्यालय में वह साल 1942 से 1952 तक प्रवक्ता रहे। फिर बाद में वह इंग्लैंड चले गए। जहां पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वहीं भारत वापस लौटने के बाद वह फिर काशी यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। इस दौरान वह ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद में भी काम करते रहे।

विवाह

वहीं साल 1926 में महज 19 साल की उम्र में उन्होंने श्यामा बच्चन से प्रम विवाह किया। उस दौरान श्यामा बच्चन की आयु 4 साल थी। लेकिन साल 1936 में बीमारी के चलते श्यामा बच्चन का निधन हो गया था। वहीं हरिवंश राय बच्चन ने साल 1942 में तेजी सूरी से दूसरा विवाह किया। हरिवंश राय बच्चन और तेजी सूरी से उनके दो बेटे अमिताभ बच्चन और अजिताभ बच्चन हैं। 

सम्मान

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हरिवंश राय बच्चन ने साल 1955 में हिंदी विशेषज्ञ का पद संभाला। वहीं साल 1966 में राज्यसभा के लिए उनका नाम लिया गया। जिसके 3 साल बाद भारत सरकार द्वारा उनको साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया। साल 1976 में साहित्य में योगदान के लिए हरिवंश राय को पद्म भूषण से नवाजा गया। इसके साथ ही उनको नेहरु अवॉर्ड, सरस्वती सम्मान और लोटस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मौत के बाद साल 1984 में हरिवंश राय बच्चन ने '1 नवम्बर 1984' लिखी थी। यह हरिवंश राय की आखिरी रचना थी।

20वीं सदी के कवि

हरिवंश राय 20वीं सदी के सबसे प्रशंसित हिंदी कवि थे। अवधि भाषा पर इनकी खास पकड़ थी। भारतीय हिन्दी साहित्य में उनकी कविताओं ने काफी परिवर्तन किया। हरिवंश राय की शैली अन्य कवियों से काफी अलग थी। इसी कारण इनको नई सदी का जनक कहा जाता है। वहीं बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पिता के तौर पर भी हरिवंश राय बच्चन की ख्याति है। बॉलीवुड के एंग्री मैन अमिताभ बच्चन भी अपने पिता के सामने नजरें नीचे रखते थे। अपने पिता की कई कविताओं को अमिताभ बच्चन ने अपनी आवाज दी है।

मृत्यु

बता दें कि 18 जनवरी 2003 को हरिवंश राय बच्चन ने 95 साल की उम्र में आखिरी सांस ली थी। हांलाकि भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपनी कविताओं के जरिए वह हमेशा याद किए जाते रहेंगे। 

प्रमुख काव्य रचनाएं

एकांत संगीत, निशा निमंत्रण, आरती और अंगारे, मिलन यामिनी, नए पुराने, झरोखे, मधुशाला, मधुकलश, मधुबाला, आकुल-अंतर, टूटी-फूटी कड़ियां, बुध और नाच घर आदि हैं।

प्रमुख आत्मकथा

हरिवंश राय बच्चन ने चार खंड में अपनी आत्मकथा लिखी है। जिसमें क्या भूलूं क्या याद करूं, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दसद्वार से सोपान तक शामिल है।

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