कश्मीर पुलिस की चेतावनियों को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया

By सुरेश डुग्गर | Feb 16, 2019

जम्मू। इसे लापरवाही कहा जाए या फिर कुछ और की जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा आतंकी हमलों के अंदेशे की दी जाने वाली पूर्व चेतावनियों व सूचनाओं को आखिर क्यों अन्य सुरक्षाबलों ने हमेशा से हलके से लिया। तीन साल पहले पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद अब पुलवामा में हुए कार बम विस्फोट की चेतावनी ने फिर से इस सवाल को जागृत किया है कि आखिर क्यों कश्मीर पुलिस पर विश्वास नहीं किया जाता। पुलवामा हमले से 6 दिन पहले कश्मीर पुलिस कंट्रोल रूम में तैनात एसएसपी ने उन सभी सुरक्षाबलों को एक लिखित मैसेज भेज कर चेताया था जो हाईवे तथा कश्मीर की अन्य सड़कों का इस्तेमाल आवाजाही के लिए करते थे। मैसेज में आतंकियों द्वारा आईईडी द्वारा विस्फोट कर नुक्सान पहुंचाने की सूचनाएं मिलने की चेतावनी थी।

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यह मैसेज मोस्ट अर्जेंट था। इसे सेना, बीएसएफ, एयरफोर्स, आईटीबीपी, केरिपुब समेत उन सभी सुरक्षाबलों के लिए था जो कश्मीर में आतंकवादरोधी अभियानों में लिप्त थे। आप जानना चाहते हैं इस मैसेज का क्या हुआ। वही जो जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले से पहले दी गई चेतावनी का हुआ था। इसे भी रद्दी की टोकरी में फैंक दिया गया। और नतीजा सबके सामने है। इस हमले के बाद फिर से पठानकोट हमला भी चर्चा में है। चर्चा यह है कि क्या पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले की पूर्व जानकारी जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी पहले ही दी थी? क्या उनकी चेतावनी को गंभीरता से लिया गया था? फिलहाल इन सवालों के जवाब आने बाकी हैं पर जम्मू कश्मीर पुलिस कहती है कि उसने 12 घंटे पहले पंजाब पुलिस को संभावित हमले की चेतावनी दी थी।

जम्मू कश्मीर पुलिस के खुफिया विभाग के कुछ अधिकारी अभी भी दावा करते हैं कि करीब 12 घंटे पहले उन्होंने पंजाब पुलिस के अधिकारियों को ऐसी चेतावनी दी थी। इस चेतावनी में यह कहा गया था कि करीब 6 अनजान लोगों ने घुसपैठ की है और वे पंजाब में कुछ बड़ा कर सकते हैं। इतना जरूर था कि यह कोई पहली बार नहीं था कि जम्मू कश्मीर पुलिस की सूचनाओं को हल्के तौर पर लेते हुए नजरअंदाज किया गया था। दिल्ली समेत देश के कई अन्य हिस्सों में होने वाले बम विस्फोटों, संसद पर होने वाले हमले से पहले भी, जम्मू कश्मीर पुलिस तथा उसके खुफिया विंग का दावा था कि पूर्व सूचनाएं शेयर की गई थी पर उन्हें न सिर्फ हल्के से लिया गया बल्कि नजरअंदाज भी कर दिया गया। उनका कहना था कि उन्हें यह जानकारियां या तो मारे गए आतंकियों के कब्जे से बरामद दस्तावेजों या फिर पकड़े जाने वाले आतंकियों से पूछताछ के दौरान या फिर पकड़े जाने वाले वायरलेस संदेशों से मिलती रही हैं।

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हालांकि वे भी इसे मानते हैं कि उनके द्वारा एकत्र की गई तथा बांटी गई सभी जानकारियां या फिर चेतावनियों में सच्चाई नहीं होती पर वे किसी भी चेतावनी या जानकारी को हल्के तौर पर लेने का खतरा मोल नहीं ले सकते हैं। पर इतना जरूर था कि जम्मू कश्मीर पुलिस तथा उसके खुफिया विंग द्वारा अन्य राज्यों की पुलिस को मुहैया करवाई गई सूचनाओं से कई आतंकियों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं और कई आतंकी हमलों को नाकाम करने में कामयाबी भी मिल चुकी है।

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