By नीरज कुमार दुबे | Jan 24, 2023
कश्मीरी केसर की बात ही अलग है। इसे कश्मीर का गोल्ड भी कहा जाता है। माना जाता है कि कश्मीर में सबसे बढ़िया केसर पुलवामा जिले के पम्पोर में उगता है। हालांकि बडगाम तथा अन्य जिलों में भी केसर की अच्छी पैदावार होती है। हम आपको बता दें कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग हासिल है और अब यह वैश्विक बाजार में अपनी खास पहचान बना चुका है। हालांकि एक चिंता की बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में मौसमी कारणों से केसर की उपज कुछ कम हुई है जिसके चलते इसके दाम और बढ़ गये हैं। वैसे कश्मीर की भूमि पर वर्षों से खिलने वाले केसर को शुरू से ही दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक माना जाता है।
स्थानीय भाषा में जाफरान के नाम से पुकारे जाने वाले केसर की कीमत की बात करें तो गुणवत्ता के आधार पर इसकी कीमत तय होती है। अक्टूबर-नवंबर में केसर की फसल की कटाई का मौसम होता है तब खेतों में मजदूरों की भीड़ देखी जा सकती है क्योंकि पहले फूल को तोड़ना और उसमें से केसर को निकालना एक जटिल प्रक्रिया होती है और उसके लिए कुशल मजदूरों की ही जरूरत होती है। कश्मीर में केसर को बाजारों में पहुँचाने में इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर सैफरन ट्रेडिंग सेंटर अहम भूमिका निभाता है। कश्मीरी केसर को पूरी दुनिया के बाजारों में पहुँचाने का जिम्मा संभालने वाले इस सरकारी संस्थान को लोग सैफरन पार्क या स्पाइस पार्क के नाम से भी जानते हैं। यह संस्थान कश्मीर के कृषि विभाग के मातहत काम करता है। केसर की फसल जब उग जाती है तो इस संस्थान का कार्य होता है कि कैसे फूल में से केसर को निकालना है, कैसे उसको सुखाना है, कैसे उसकी पैकिंग करनी है, केसर की गुणवत्ता की जाँच कर उसे श्रेणीबद्ध भी करना होता है। इंडिया इंटरनेशनल कश्मीर सैफरन ट्रेडिंग सेंटर के ई-ऑक्शन पोर्टल की मदद से केसर उत्पादकों को अपनी फसल बेचने में मदद भी दी जाती है।
इसके अलावा निजी तौर पर भी कई केसर विक्रेता हैं जोकि इसके उत्पादन से भी जुड़े हुए हैं। प्रभासाक्षी संवाददाता ने उनसे बातचीत कर केसर की खेती से जुड़ी प्रक्रिया को समझा और केसर उत्पादकों के समक्ष क्या कठिनाइयां हैं यह भी जाना। प्रभासाक्षी संवाददाता ने केसर विक्रेताओं से बात कर यह जानने का भी प्रयास किया कि आखिर कैसे सही केसर की पहचान की जाये।