हिंदी की बिंदी को और चमका रहा केबीसी (कविता)

By प्रतिभा तिवारी | Sep 13, 2018

अमिताभ बच्चन जिस तरह केबीसी प्रस्तुत करते हैं वह शानदार तो है ही साथ ही इस शो में हिन्दी भाषा को जिस तरह बढ़ावा दिया जाता है वह अपने आप में एक मिसाल है। हिन्दी के कई शब्दों का तो एक तरह से अमिताभ बच्चन ने इस शो के माध्यम से लोगों से परिचय कराया। पेश है इसी पर आधारित प्रतिभा तिवारी जी की कविता।

 

हिन्दी, हमारी मातृभाषा 

हिन्दुस्तान की जुबान को 

समझने और समझाने की परिभाषा 

पर पिछले दो दशकों से 

जो सिर्फ हिन्दी बोलते और समझते हैं 

उन्हें मिली है निराशा 

हिन्दी के वो शब्द  

जो किताबों और दीवारों तक ही  

सीमित रह गए हैं  

इन्हीं दो दशकों में मैंने कहीं किसी में  

जीवंत होते भी देखा है 

हमारे देश के महान व्यक्तित्व, 

हम सभी के सम्माननीय 

एक अद्भुत शख्सियत 

जिन्होंने हिन्दी को और 

हिन्दी ने उनको निखारा और परखा है 

जिन्होंने अपनी प्रतिभा से 

हिन्दुस्तान और हिन्दी को गौरवान्वित किया है 

और हम सभी को भी प्रभावित किया है 

वैसे तो हम सभी को आपके 

हिन्दी ज्ञान, हिन्दी बोलने, लिखने और 

समझने की कला और क्षमता का संज्ञान है       

हम सभी आपके 

कवि व्यक्तित्व से भी परिचित हैं 

पर इन दो दशकों में

कौन बनेगा करोड़पति के माध्यम से 

आपका हिन्दी ज्ञान 

हर शहर, हर घर में चर्चित है 

आपके बोलने की कला 

शब्दों का चयन 

पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण के भाव 

जल जैसा मिलनसार आपका स्वभाव  

सुनकर.......………

आदर, आदाब, अभिनन्दन, आभार 

18 सालों से लाखों लोगों के 

हो रहे सपने साकार 

जहां प्रश्न पूछते हैं सदी के महानायक 

और अटक जाने पर मदद के लिए होते हैं 

50-50, जनता, सलाहकार और सहायक

आपके सरल स्वभाव और दोस्ताना अंदाज़ से 

भाग जाती है प्रतियोगी की हिचकिचाहट 

और हॉट सीट का डर 

और आप सभी का मन मोह लेते हैं 

जब बोलते हैं  

बहुत ही अद्भुत खेला है "आपने मान्यवर" 

अब आ गया खेल का दूसरा पड़ाव  

दीजिए उत्तर 

कहीं मिला जवाब कोई रह गया निरुत्तर  

इस प्रश्न का 80 हजार है मूल्य 

आप भाई को समझते हैं पितातुल्य 

पिताश्री, पौत्र, पुत्रवधू  

छवि, मील, गुड़ी, शसक्त 

आजकल कहां सुनाई देते हैं ऐसे शब्द 

आपके हिन्दी बोलने का जोश, 

जज्बा, आत्मविश्वास 

कर देता है हम सबको स्तब्ध 

नमस्ते, हाय, हेल्लो के बीच 

कहीं खो गया है प्रणाम 

कोटि के चोटी के साथ 

संसार के हर चोटी से 

ऊंचा हो आपका नाम 

दीवारों और किताबों में पाए जाते हैं 

पुस्तकालय, संग्रहालय, विद्यालय 

सुनकर अच्छा लगा  

आप लेकर आए धनालय 

सराहनीय है आपकी प्रतिभा,

विचारधारा, उन्नति, प्रगति 

मन से भी तेज हो आपके 

सम्मान और उपलब्धि की गति 

हर साल, हर उम्र के लोग इंतजार करते हैं 

आप कब पूछेंगे ''कौन बनेगा करोड़पति" 

शब्दों के करोड़पति

चिरायु रहे आपकी ख्याति 

सालों, साल आप हमें यूं ही कहते रहे 

शुभरात्रि, शुभरात्रि, शुभरात्रि। 

 

-प्रतिभा तिवारी 

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