होठों पर किस करना और प्यार से छूना अप्राकृतिक अपराध नहीं! बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

By निधि अविनाश | May 16, 2022

नाबालिग यौन शोषण के मामले में  बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एक बड़ा बयान दिया है। आरोपी की याचिका पर कोर्ट ने कहा कि होठों को किस करना और प्यार से किसी को छूना आईपीसी की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध नहीं है। इसके साथ ही  न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने नाबालिग लड़के के साथ यौन शोषण करने वाले आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश भी दे दिया है।

इसे भी पढ़ें: मेघालय: महिला को खंभे से बांधकर की बदसलूकी, वीडियो हुआ वायरल

बता दें कि आरोपी ने 14 साल के लड़के के साथ गंदी हरकत की थी जिसके बाद पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी और आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लड़के के पिता के अलमारी से रोजाना पैसे गायब हो रहे थे जिसके बाद उसने अपने बेटे से इसके बारे में पूछा। बेटे ने बताया कि वह पैसे आरोपी व्यक्ति को देता है। नाबालिगने साथ में यह भी बताया कि वह ऑनलाइन गेम ओला पार्टी का रिचार्ज कराने के लिए आरोपी व्यक्ति के पास जब गया था तो शख्स ने उसके होठों को किस किया और उसके निजी अंगों को छूआ। लड़के के पिता ने पुलिस में आरोपी के खिलाफ यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून की संबंधित धाराओं तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत एक एफआईआर दर्ज कराई। 

क्या दिया बॉम्बे हाई कोर्ट ने बयान

न्यायमूर्ति प्रभुदेसाई ने आरोपी को जमानत और रिहा करने का आदेश सुनाते हुए कहा कि लड़की की मेडिकल जांच यौन शोषण के उसके आरोप का समर्थन नहीं करती है। हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में अप्राकृतिक यौन संबंध की बात पहली नजर में लागू नहीं होती।हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपी पहले ही एक साल तक हिरासत में रहा है और मुकदमे की सुनवाई जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है।हाई कोर्ट ने कहा, 'उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए याचिकाकर्ता आरोपी जमानत का हकदार है।' इसी के साथ आरोपी को 30,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।

प्रमुख खबरें

550 अरब रुपये का बकाया, पाई पाई वसूलने की शुरू हुई कार्रवाई, जिनपिंग ने शहबाज को दिया अल्टीमेटम

मुसलमानों के लिए बरकरार रखेंगे 4% आरक्षण, Andhra Pradesh में BJP की सहयोगी TDP का बड़ा ऐलान

Jammu Kashmir: आतंकवादी संगठन से जुड़ने जा रहा था युवक, पुलिस ने मौके पर ही धड़ दोबाचा

पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक एजेंडा, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट को भारत ने किया खारिज