आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन ने अपने शौक के लिए बर्बाद किए निवेशकों के पैसे

By अनुराग गुप्ता | Jul 24, 2019

आशियाना तो वहीं होता है जहां अपना घर होता है। बीते दिनों घर की राह तकते हुए 42,000 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने संकट में फंसी रीयल्टी कंपनी आम्रपाली समूह की परियोजनाओं को पूरा करने का जिम्मा अब एनबीसीसी (NBCC) को सौंपा और साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि काम यथाशीघ्र पूरा हो।


NBCC को सौंपी गई आशियाने की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार के दिन 42 हजार घर खरीदारों को राहत देते हुए कहा कि आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट सरकारी कंपनी एनबीसीसी पूरा करेगी। क्योंकि आम्रपाली निर्धारित समय में परियोजना पूरा करने में विफल रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने रीयल एस्टेट नियमन एवं विकास कानून (रेरा) 2016 के तहत आम्रपाली समूह का पंजीकरण भी रद्द कर दिया। न्यायाधीश अरूण मिश्र और यूयू ललित की पीठ ने अपने 270 पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘‘हमने विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने और उसे खरीदारों को सौंपने के लिये एनबीसीसी को नियुक्त किया है। एनबसीसी के लिये कमीशन 8 प्रतिशत तय किया गया है।’’ 

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क्या है पूरा विवाद ?

रीयल्टी कंपनी आम्रपाली समूह पर आरोप है कि उसने घर खरीदारों का आस दिखाकर पैसे तो वसूल लिए लेकिन अभी तक उन्हें घर बनाकर नहीं दिया। साथ ही वसूले गए पैसों को किसी अन्य प्रोजेक्ट पर लगा दिया था। आपको जानकारी दे दें कि अपने आशियाने की चाहत लिए 40 हजार से अधिक खरीदार पिछले 5 साल से यह लड़ाई लड़ रहे हैं। जबकि 2 साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने ED को दिए धन शोधन की जांच के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को आम्रपाली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा तथा कंपनी के अन्य निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए कथित धन शोधन की जांच का निर्देश दिया। जिसके बाद ईडी ने आम्रपाली समूह और उसके प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन का आपराधिक मामला दर्ज किया है। इसी के साथ अधिकारियों ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय कंपनी के प्रवर्तकों से पूछताछ करने एवं धनशोधन कानून का उल्लंघन करने को लेकर जब्त किए जाने योग्य संपत्तियों की पहचान करने के बारे में सोच रही है।

 

कोर्ट ने दी राहत, बैंक नहीं कर सकेंगे दावा

सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और नोएडा प्राधिकरण की जमकर खिंचाई की और कहा कि बैंकों ने लोन बिना किसी भी जिम्मेदारी के दे दिया वो भी बिना देखें कि इन पैसों का इस्तेमाल कहां हो रहा है। ऐसे में खरीदारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इन प्रोजेक्टों के लिए कर्ज देने वाले बैंक तथा नोएडा प्राधिकरण को इन परियोजनाओं पर दावा करने से रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली की संपत्तियां बेचकर बैंकों का कर्ज चुकाया जाएगा।

 

कौन हैं अनिल शर्मा

आम्रपाली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक हैं अनिल शर्मा। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को इनके खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। आपको बता दें कि अनिल शर्मा एक अरबपति हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वह लोगों को सपने दिखाकर उनसे पैसे ले लेते हैं और फिर उस पैसे को दूसरे प्रोजक्ट में लगा देते हैं। ऐसा करते-करते ही वह अरबपति बन गए। लेकिन कहते हैं कि झूठे सपने और झूठी उम्मीदों का अंत खतरनाक होता है।

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हजारों लोगों के अरमान से खेलने वाले अनिल फिलहाल तो जेल में बंद है और हालिया फैसले के बाद उनकी मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। अनिल शर्मा बिहार से आते हैं और वह पेशे से इंजीनियर हैं। अनिल शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत बिहार सरकार में बतौर सहायक अभियंता के तौर पर की थी और साल 1984 से 85 तक वह हाजीपुर नगरपालिका में कार्यकारी अफसर के पद पर भी तैनात रहे।

 

 

बड़े सपने देखने वाले अनिल शर्मा को बिहार में काम करके मजा नहीं आ रहा था तो वह साल 2002 में दिल्ली आ गए। जहां पर उन्होंने रियल स्टेट में अपने पैर पसारने के बारे में विचार किया और आम्रपाली के नाम से प्रोजेक्ट शुरू किए। देखते ही देखते आम्रपाली ग्रुप को लोग जानने लगे और उनकी कंपनी का कारोबार बुलंदियों पर पहुंच गया। 

 

खरीदारों के पैसों को आम्रपाली ग्रुप ने किया बर्बाद

शिखर पर पहुंचने वाले अनिल शर्मा की दिलचस्पी सिनेमा की तरफ जाने लगी। ऐसे में उन्होंने अपनी किस्मत बॉलीवुड में भी आजमाई लेकिन यहां पर उन्हें सफलता नहीं मिली। आम्रपाली ग्रुप ने गांधी टू हिटलर और आई डोंट लव यू नाम की फिल्में बनाईं और खरीदारों के पैसों को पानी की तरह बहाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खरीदारों का पैसा फिल्म में लगाए जाने की वजह से फ्लैट के प्रोजेक्ट अधूर रह गए और लोगों के सपने धुंधले होने लगे। ऐसे में खरीदारों ने न्यायालय की तरफ अपना रुख किया और पांच साल की लड़ाई के बाद न्यायालय ने आम्रपाली ग्रुप को झटका दे दिया। 

 

खरीदारों के सपनों को कुचलने वाले अनिल शर्मा को होना पड़ा था नजरबंद

आम्रपाली प्रोजेक्ट में पैसा लगाने वाले 42 से अधिक निवेशक सुप्रीम कोर्ट से पहले नोएडा प्राधिकरण, केंद्र सरकार के मंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों, नोएडा के सांसद और विधायकों से गुहार लगाई थी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। फिर तारीख आई 10 अक्टूबर 2018 जिस दिन निवेशकों को उनके घर दिए जाने थे और कंपनी खरीदारों को उनके घर नहीं दे पाई। जिसके बाद अनिल शर्मा नोएडा सेक्टर- 62 के एक होटल में पुलिस की निगरानी में 6 महीने तक नजरबंद रहना पड़ा। फिलहाल पांच माह से अनिल शर्मा जेल की हवा खा रहे हैं।

 

EC को अनिल शर्मा ने बताई थी अपनी संपत्ति

फिल्मों में हाथ आजमाने वाले अनिल शर्मा अब राजनीति में आना चाहते थे ऐसे में उन्होंने साल 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बनाया। मन तो बना लिया लेकिन कहां  से और किस पार्टी से चुनाव लड़ना है इसके बारे में विचार करने लगे। बता दें कि बिहार की जहानाबाद सीट से शर्मा ने चुनाव लड़ा वो भी जदयू के टिकट पर। यह वो दौर था जब जदयू ने अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ा था खैर आज तो वह भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा है। अनिल शर्मा ने जमकर मेहनत की कैंपेन किए लेकिन बुरी तरह से चुनाव हार गए। फिर भी उनका राजनीति का भूत अभी नहीं उतरा था ऐसे में उन्होंने भाजपा से जुड़कर राज्यसभा का चुनाव लड़ा और यहां भी उन्हें हार का सामना कर पड़ा था। चुनाव के दौरान अनिल शर्मा ने चुनाव आयोग को अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि 847.88 करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई हैं।

 

- अनुराग गुप्ता

 

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