World Leprosy Day 2023 आज, अछूत नहीं अब कुष्ठ रोग, घबराने की जगह उपचार से संभल सकता है जीवन

By रितिका कमठान | Jan 29, 2023

कुष्ठ रोग आमतौर पर ऐसा रोग माना जाता है जिससे संपर्क करने में साधारण मनुष्य काफी संदेह करता है। कुष्ठ रोगियों का जीवन काफी दर्द और पीड़ादायक होता है, जो सिर्फ बीमारी के कारण नहीं बल्कि लोगों के व्यवहार के कारण भी है। ये ऐसी बीमारी है जिसका समय पर पता चले तो इसका इलाज भी संभव है। नई तकनीक और मेडेसिन के फील्ड में हुए आविष्कार के बाद इस बीमारी का इलाज संभव हुआ है। अब इसे अछूत नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि समय पर रहते हुए इससे बचाव संभव है।

वर्ष 2023 में विश्व कुष्ठ दिवस 29 जनवरी रविवार को मनाया जा रहा है। विश्व कुष्ठ दिवस हमेशा जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। विश्व कुष्ठ रोग दिवस को अंतिम रविवार को मनाने के पीछे फ्रांसीसी मानवतावादी, राउल फोलेरेउ ने फैसला किया था। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए जनवरी के अंतिम रविवार को विश्व कुष्ठ दिवस के तौर पर चुना था। महात्मा गांधी ने अपने जीवनकाल में कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के साथ बहुत काम किया और 1948 में जनवरी के अंत में उनकी मृत्यु हो गई।

विश्व कुष्ठ दिवस प्रत्येक वर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। यह कुष्ठ रोग मिशन सहित कुष्ठ और कुष्ठ-केंद्रित गैर सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित किया जाता है। विश्व कुष्ठ दिवस के दिन दुनिया भर में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों की आवाज उठाई जाती है। इस वर्ष कुष्ठ रोग दिवस को मनाने की थीम 'Act Now: End Leprosy' है।

जानें इस दिन को मनाने का कारण
विश्व कुष्ठ दिवस को इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। कई लोगों को मानना है कि अब ये बीमारी मौजूद नहीं है जबकि ये सच्चाई नहीं है। प्रत्येक वर्ष 200,000 लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते है। कई बार इस बीमारी का पता लंबे समय बाद चलता है जिससे इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। कई मरीजों को बीमारी का ट्रीटमेंट देरी से मिलता है।

 बता दें कि विश्व कुष्ठ दिवस प्रभावित लोगों के जीवन का जश्न मनाने, बीमारी के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर है। कुष्ठ रोग दिवस के मौके पर जागरुकता फैला कर इस रोग को खत्म करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की जाती है।

ऐसे मनाया जाता है विश्व कुष्ठ दिवस
इस दिन का आयोजन दुनिया के हर देश में होता है। यानी जहां कुष्ठ रोगी हैं और जहां कुष्ठ रोगी नहीं हैं वहां भी। जिन देशों में कुष्ठ रोग नहीं है वहां जागरुकता बढ़ाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। लोगों को ये बताया जाता है कि कुष्ठ रोग से आज भी कई लोगों का जीवन बर्बाद हो रहा है। वहीं जिन देशों में कुष्ठ रोगी अब भी हैं वहां लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। कुष्ठ रोग के कलंक को कम करने और इसके मरीजों को समान दृष्टि से देखने के उद्देश्य से इस दिन का आयोजन किया जाता है।

कुष्ठ रोग के बारे में खास बातें
- मल्टी ड्रग थेरेपी (MDT) नामक एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से कुष्ठ रोग का इलाज किया जा सकता है। यह इलाज पूरी दुनिया में मुफ्त में उपलब्ध है। अगर समय पर कुष्ठ रोग का इलाज ना किया जाए तो ये कई गंभीर समस्याओं और जटिलताओं को उत्पन्न कर सकता है।

- कुष्ठ रोग कम से कम 4,000 साल पुरानी बीमारी है, जो सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है। कुष्ठ रोग को इसी जनरेशन में खत्म करने का लक्ष्य भी तय किया गया है। माना जा रहा है कि वर्ष 2035 तक इसका जीरो ट्रांसमिशन होगा।

- आंकड़ों के अनुसार कुष्ठ रोग देश और दुनिया के कई देशों में आज भी मौजूद है। हर वर्ष लगभग 200,000 लोगों में कुष्ठ रोग की पहचान की जाती है। हर वर्ष लाखों लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है। खास तौर से एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में जैसे महाद्वीपों में इस बीमारी से पीड़ित लाखों लोग रहते है। 

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