घूमने के साथ-साथ इतिहास भी जानें, मप्र के मांडवगढ़ में मिलेगा बहुत कुछ

By प्रीटी | Apr 19, 2018

रानी रूपमती और बाजबहादुर के प्रणय प्रसंगों के गवाह महल, उनसे कुछ दूर नर्मदा नदी की पतली सी रेखा, जहाज महल व हिंडोला महल की अद्भुत कारीगरी कुल मिलाकर इतना सब कि पर्यटकों को लगेगा कि उनका मांडवगढ़ पहुंचना सार्थक हो गया।

 

मध्य प्रदेश के इंदौर से लगभग 100 किलोमीटर सड़क के रास्ते से मांडवगढ़ जब जाते हैं तो लगता है कि यहां के अवशेषों का एक−एक पत्थर राजपूत राजाओं ओर फिर मुगल सम्राटों के वैभव−पराभव के कहानी कह रहा है।

 

दूर−दूर तक फैला एकांत और रात की निस्तब्धता में जब आप मांडव में रात गुजारेंगे तो ऐसा आभास होगा कि मानो संपूर्ण अतीत मुखर होकर चहल−पहल में बदल गया है और नर्तकियों के पैरों व घुंघरुओं की थाप जहाज महल के फर्श पर मुखरित हो रही है। अतीत के इस समृद्ध वैभव को जब आप देखने आ ही रहे हैं तो कम से कम दो दिन यहां जरूर बिताएं।

 

यहां से 124 किलोमीटर दूर रतलाम रेल जंक्शन है, जो दिल्ली, मुंबई रेलमार्ग का मुख्य स्टेशन है, 100 किलोमीटर दूर इंदौर भी रेलमार्ग से मुंबई व दिल्ली से जुड़ा हुआ है। इंदौर से मांडू के लिये नियमित बस सेवा है। भोपाल, रतलाम, महू, उज्जैन व इंदौर से यहां के लिए सीधी बसें भी हैं। इंदौर से टैक्सी सेवाएं भी आपको सरलता से उपलब्ध हो सकती हैं।

 

यहां के दर्शनीय स्थलों में जामा मस्जिद, होशंगशाह का मकबरा, मुख्य दरवाजे, अशर्फी महल, जहाज महल, हिंडोला महल और बाजबहादुर महल मुख्य रूप से शुमार किये जाते हैं। इन सभी स्थलों की कारीगरी देख कर पर्यटक सम्मोहित हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त रेवा कुंड भी अवश्य देखें। इस तालाब में दूरस्थ नर्मदा नदी का पानी संग्रहीत करने की व्यवस्था बाजबहादुर ने कराई थी। इसका उपयोग रानी रूपमती द्वारा किया जाता था।

 

16वीं शताब्दी के प्रारंभ में बाजबहादुर द्वारा अपने लिए बनवाए गए खूबसूरत महलों के अलावा रूपमती परिसर, निकहत महल, हाथी महल, परिया खान मकबरा, दाई का मकबरा, दाई की छोटी बहन का महल, ईको प्वाइंट आदि इतनी ऐतिहासिक धरोहरें हैं कि इनको देखते हुए आप रानी रूपमती व बाजबहादुर की प्रणय गाथाओं में खो जाएंगे।

 

मांडू में ठहरने के लिए सस्ती व अच्छी व्यवस्थाएं हैं। यहां टूरिस्ट काटेज, ट्रैवलर्स लाज और मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के भवन हैं जहां आसानी से जगह मिल जाती है। तवेली महल गेस्ट हाउस, होटल रूपमती, साडा रेस्ट हाउस और जैन धर्मशाला में ठहरने की बढ़िया व्यवस्था है। लोक निर्माण विभाग व वन विभाग के विश्रामगृहों में भी पर्यटकों के रुकने की अच्छी व्यवस्था है।

 

वैसे तो बरसात के मौसम में मांडू जाने का अलग ही आनंद है। किन्तु मार्च से जुलाई तक का समय मांडू जाने के लिए बढ़िया रहेगा।

 

-प्रीटी

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