जानिए क्यों होता है मेलाज्मा और इससे निपटने के कुछ घरेलू उपाय

By मिताली जैन | Jul 02, 2021

मेलाज्मा एक सामान्य स्किन डिसऑर्डर है जो सूर्य के संपर्क में आने वाले चेहरे के क्षेत्रों पर त्वचा के भूरे−भूरे रंग के धब्बेदार पैच के रूप में नजर आता है। यूं तो मेलाज्मा किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन महिलाओं में खासतौर से उन महिलाओं में दिखाई देता है जिनका रंग गहरा होता है। यह महिला हार्मोन से जुड़ा हुआ है। मेलाज्मा में गहरे भूरे रंग के धब्बेदार पैच माथा, गाल, ठोड़ी, नाक और ऊपरी होठ आदि एरिया में नजर आते हैं। यूं तो इसका इलाज त्वचा विशेषज्ञ भी कर सकते हैं, लेकिन इस त्वचा की समस्या का कोई स्थायी इलाज नहीं है। यदि आप घर पर ही इसका इलाज करना चाहते हैं तो कुछ उपायों को अपना सकते हैं। तो चलिए आज हम आपको मेलाज्मा के कारण और इसके उपचार के बारे में बता रहे हैं−

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जानिए कारण

त्वचा विशेषज्ञ बताते हैं कि यह अभी भी अज्ञात है कि वास्तव में मेलाज्मा का कारण क्या है, लेकिन कुछ ऐसी वजहें हैं, जो इसके रिस्क फैक्टर को बढ़ाते हैं। मसलन, गोरे या गेहुंआ रंग की तुलना में डस्की और सांवली त्वचा वाली महिलाओं में मेलास्मा होने की संभावना अधिक होती है। वहीं यह आपके हार्मोन से भी जुड़ा है। अधिकांश मामलों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन स्किन की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं। चूंकि गर्भिनरोधक गोलियां, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति इन हार्मोनों के स्तर को बिगाड़ सकती हैं, ये सभी त्वचा की स्थिति मेलाज्मा के लिए जोखिम कारक बन जाते हैं। इसके अलावा, यूवी किरणें भी आपकी त्वचा में मेलेनिन के स्तर को बिगाड़ती है। त्वचा की समस्याओं के अन्य सामान्य कारण जैसे तनाव और थायराइड रोग भी महिलाओं में मेलास्मा को टि्रगर कर सकते हैं।


घरेलू उपाय

मेलाज्मा के कारणों को जानने के बाद आप उससे निपटने के कुछ घरेलू उपायों के बारे में भी जान लीजिए। एलोवेरा से लेकर हल्दी ऐसे कई इंग्रीडिएंट है, जो मेलाज्मा के उपचार में प्रभावी तरीके से काम करते हैं। 

 

एक अध्ययन के अनुसार, एलोवेरा में एलोइन होता है, जो एक प्राकृतिक डिपिगमेंटिंग यौगिक है जो त्वचा को लाइट करता है और एक नॉन−टॉक्सिक हाइपरपिग्मेंटेशन उपचार के रूप में प्रभावी ढंग से काम करता है। इसके इस्तेमाल के लिए आप एलोवेरा जेल को पिगमेंटेड एरिया पर लगाएं। अगली सुबह गुनगुने पानी से धो लें। जब तक आपकी त्वचा का रंग बेहतर न हो जाए तब तक इसे रोजाना दोहराएं।

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वहीं हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एक लोकप्रिय एंटीऑक्सिडेंट और एंटीमुटाजेनिक है। यह यूवी किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है और त्वचा में मेलेनिन के उत्पादन को रोकता है। करक्यूमिन हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने के लिए भी जाना जाता है। आप इसे बेसन और दूध जैसे अन्य एडिटिव्स के साथ मिलाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। 


शोध से पता चलता है कि त्वचा पर लगाने पर ग्रीन टी के अर्क का डिपिगमेंटिंग प्रभाव हो सकता है। इसके इस्तेमाल के लिए आप एक ग्रीन टी बैग को तीन से पांच मिनट के लिए उबले हुए पानी में भिगो दें। टी बैग को पानी से निकालें और ठंडा होने दें। टी बैग को अपने काले धब्बों पर रगड़ें। परिणाम प्राप्त होने तक दिन में दो बार दोहराएं।


मिताली जैन

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