By मिताली जैन | Oct 17, 2020
मम्प्स जिसे गलसुआ या गले का संक्रमण भी कहा जाता है, विषाणु के कारण होने वाला लार ग्रंथियों का एक गंभीर संक्रमण है। हालांकि,, इसे एक टीके द्वारा आसानी से रोका जा सकता है। गले से संबंधित यह रोग गाल के नीचे जबड़ों के पास स्थित पैरोटिड ग्रंथियों में संक्रमण के फैलने से होता है। संक्रमण के कारण इस रोग में गालों में सूजन आ जाती है। इस रोग को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको गले के संक्रमण के कारण और उसके बचाव के उपायों के बारे में बता रहे हैं−
क्या होते हैं मम्प्स
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि मम्प्स एक विकट विषाणुजनित रोग है जो पैरोटिड ग्रंथि को कष्टदायक रूप से बड़ा कर देती है। ये ग्रंथियां आगे तथा कान के नीचे स्थित होती हैं तथा लार एवं थूक का उत्पादन करती हैं। संक्रामक विषाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित लार से सम्पर्क के द्वारा फैलता है, हालांकि यह हवा से फैलने वाला रोग नहीं है। 2 से 12 वर्ष के बीच के बच्चों में संक्रमण की सबसे अधिक सम्भावना होती है। इस बीमारी के कारण व्यक्ति को गालों व गर्दन में काफी तेज दर्द का अहसास होता है।
गलसुआ के कारण
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, मम्प्स आमतौर पर एक वायरस के कारण होता है। यह लार के द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति से लार की बूंदों में सांस के द्वारा यह दूसरे व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। मसलन, जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, एक संक्रमित व्यक्ति के रूप में एक ही कटलरी और प्लेटों का उपयोग करने, संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना−पीना साझा करने, संक्रमित व्यक्ति को किस करने से यह फैल सकता है। इसके अलावा, अगर एक संक्रमित व्यक्ति अपनी नाक या मुंह को छूता है और फिर उसे एक ऐसी सतह पर टच करता है जिसे कोई और छू सकता है तो इससे भी अन्य व्यक्ति को गलसुए की समस्या हो सकती है।
यूं करें बचाव
अब सवाल यह उठता है कि इस समस्या से बचाव कैसे किया जाए। ऐसा करना मुश्किल नहीं है। हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि मम्प्स को रोकने का सबसे अच्छा तरीका बीमारी के खिलाफ टीका लगाया जाना है। एक बार जब पूरी तरह से टीका लगाए जाते हैं, तो ज्यादातर लोगों की इम्यूनिटी बढ़ जाती है। मम्प्स वैक्सीन आमतौर पर एमएमआर टीके के रूप में दी जाती है। एमएमआर टीका तीन वाइरल बीमारियों− मीज़ल्स, मम्प्स एवं रुबेला के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। बच्चों को स्कूल में प्रवेश से पहले इसकी दो खुराक लेने की सिफारिश की जाती है। जिसमें पहला टीका 12 से 15 महीने की उम्र के बीच लगाया जाता है और दूसरा चार से छह साल की उम्र के बीच। याद रखें कि इसकी एक खुराक मम्प्स को पूरी तरह से रोकने के लिए प्रभावी नहीं है और कभी भी यह टीका एक साल से छोटे बच्चे को नहीं दिया जाना चाहिए।
मिताली जैन