बिना किसी क्लिक के ही फोन पर कब्जा कर लेता है Pegasus Spyware! जानिए कैसे काम करता है यह

By निधि अविनाश | Jul 20, 2021

इस समय एक प्रमुख डेटा लीक की रिपोर्ट हर जगह छाई हुई है। जी हां, बात कर रहे है  पेगासस स्पाइवेयर(Pegasus)की जो कि इस समय काफी चर्चे में है। इससे पहले भी  पेगासस स्पाइवेयर साल 2019 में व्हाट्सएप यूजर के पर्सनल डेटा से समझौता करने के लिए खबरों में बना हुआ था। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार जासूसी डेटाबेस में 40 से अधिक भारतीय पत्रकार, तीन विशेष विपक्षी हस्तियां,  पीएम मोदी सरकार में दो सेवारत मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख और अधिकारी और कई बिजनेसमेन शामिल थे। आपको बता दें कि द गार्जियन और द वाशिंगटन पोस्ट सहित कई प्रमुख समाचार वेबसाइटों ने इस पेगासस का इस्तेमाल कर कई बड़े खुलासे किए है। 

Pegasus क्या है और यह कैसे काम करता है?

Pegasus जानने वालों के दिमाग में इस वक्त यह सवाल चल रहे होंगे कि क्या आपको इस स्पाइवेयर से अपने डेटा के लीक होने से चिंतित होना चाहिए? तो जवाब है हां। पहले बता दें कि आखिर पेगासस होता क्या है। पेगासस एक स्पाइवेयर है जोकि इजरायल स्थित साइबर इंटेलिजेंस फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया है। यह एक ऐसा जासूसी सॉफ्टवेयर है जो आपके डेटा को हैक करने और इसे तीसरे पार्टी तक पहुंचाता है। यह आपके कंप्यूटर और स्मार्टफोन को हैक कर लेगा। बता दें कि यह कोई रैंडम सॉफ्टवेयर नहीं है जो आपको ऑनलाइन मिलेगा। यह प्रमुख व्यक्तियों के मोबाइल से डेटा इक्ट्ठा करता है जिसमें गंभीर अपराध और आतंक में शामिल होने का संदेह होता है। यह बिना व्यक्ति की सहमति के डेटा एकत्र करता है। हालांकि, एनएसओ समूह ने दावा किया है कि उनका मकसद 'सरकारी एजेंसियों को आतंकवाद और अपराध का पता लगाने और रोकने में मदद करने के लिए  इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पेगासस स्पाइवेयर पहली बार साल 2016 में सामने आया था, जब एक अरब कार्यकर्ता को उसके आइफोन पर एक संदिग्ध मैसेज मिला थ। एक साल बाद  एंड्राइड फोन में भी इसी तरह के लीक्स देखने को मिले थे। साल 2019 में, फेसबुक ने पेगासस बनाने के लिए एनएसओ के खिलाफ मामल दर्ज किया, इसमें कई प्रमुख हस्तियों के डेटा को हैक किया गया था। 

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Pegasus का उपयोग फ़ोन हैक करने के लिए कैसे किया जाता है?

पेगासस एक ऐसा हैकिंग टूल में से एक है जो जीरो क्लिक एचैक करता है यानि कि आपको कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी, न तो किसी लिंक पर क्लिक करना होगा और न ही कुछ ब्राउज करना होगा। यह इतना सहज है कि फोन यूजर को कोई सुराग ही नहीं मिलेगी कि उसका फोन पूरी तरीके से हैक हो चुका है। Pegasus के इस्तेमाल करने वाले हैकर्स, सॉफ़्टवेयर और सुरक्षा बग के उपयोग करके यूजर के फोन में अपने आप इंस्टॉल हो जाता है।इसमें ऐसे सॉफ़्टवेयर को हैक किया जाता है जो यह तय किए बिना डेटा रिसीव करते हैं वह भरोसेमंद जगह से आ रहा है या नहीं। यह मु्ख्य रूप से iPhone और Android डिवाइस में इंस्टॉल होता है। स्पाइवेयर इतना गोपनीय होता है कि यह केवल एक मिस्ड कॉल की मदद से इंस्टॉल हो जाता है । डेटा तोरी के अलावा, Pegasus होस्ट डिवाइस से कॉलर लॉग, कैलेंडर ईवेंट, SMS रिकॉर्ड, कॉनटैक्ट डिटेल, कॉल हिस्ट्री , ईमेल, ब्राउजिंग हिस्ट्री को निशाना बनाता है। पेगासस गुप्त रूप से तस्वीरें क्लिक करता है, आसपास के ऑडियो को रिकॉर्ड कर सकता है, यहां तक की यूजर को सचेत किए बिना स्क्रिनशॉट भी ले सकता है।

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पेगासस के बारे में किसे चिंतित होना चाहिए?

पेगासस एक निगरानी डिवाइस है और अगर कोई सरकार किसी की जासूसी करना चाहती है, तो इसका इस्तेमाल करने के लिए स्पाइवेयर है। यहां तक कि  व्हाट्सएप पर एन्क्रिप्टेड चैट को पेगासस हैक कर सकता है। बता दें कि आम फोन यूजर को पेगासस के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपक फोन फिर भी हैक प्रूफ नहीं है। पेगासस चलाने वाले एनएसओ ग्रूप अभी भी मौजूद है, जिसका मतलब है कि पेगासस स्पाइवेयर का एक नया संस्करण भी मौजूद है। किसी को पता भी नहीं चलेगा कि उनका फोन हैक किया जा रहा है या नहीं। लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह बेहद मंहगा है और एनएसओ ग्रुप के मुताबिक इसे केवल सरकारी एंजिसयों को ही बेचा जाता है। इसलिए, जब तक सरकार जैसे शक्तिशाली संगठन पर आपकी नजर नहीं है तब तक आप पेगासस जैसे उपकरणों से बिल्कुल सुरक्षित हैं। 

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