By टीम प्रभासाक्षी | Aug 26, 2021
उन्होंने और पाटनकर ने 80 के दशक में श्रमिक मुक्ति दल की स्थापना करते हुए आदिवासियों, दलितों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए काम किया। ओमवेट ने समाजशास्त्र का अध्ययन किया था और 1970 के दशक में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से पीएचडी की थी। वह कई छात्र आंदोलनों से भी जुड़ी थीं।
वह पश्चिमी भारत में गैर-ब्राह्मण आंदोलनों पर अपनी डॉक्टरेट थीसिस के लिए भारत आईं और यहां प्रसिद्ध महाराष्ट्रीयन स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता इंदुमती पाटनकर से मिलीं, जिनके बेटे भरत से उन्होंने शादी कर ली और 1983 में भारतीय नागरिकता ले ली।
कम्युनिस्ट नेता अजीत अभ्यंकर कहते हैं, उन्होंने भारत में आकर मराठी सीखा। अमेरिका में विलासिता के जीवन को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपना पूरा जीवन कासेगांव में बिताया। 19वीं शताब्दी में ज्योतिबा फुले द्वारा शुरू किए गए पश्चिमी भारत में ब्राह्मण विरोधी आंदोलनों पर अन्य शोधकर्ताओं के लिए ओमवेट की थीसिस मार्गदर्शक बन गई। अभ्यंकर का दावा है कि ओमवेट ने सबसे पहले फुले के सत्यशोधक समाज के राजनीतिक निहितार्थ का अध्ययन किया, जिसके कारण इसमें नए शोध हुए।