जानें कौन थे जमाल खशोगी, जिसकी बर्बरता से कर दी साउदी अरब ने हत्या...

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 20, 2018

दुबई। विरोधाभासी व्यक्तित्व के जटिल व्यक्ति पत्रकार जमाल खशोगी कभी सऊदी अरब के शाही परिवार के करीबी थे जो बाद में अति रूढ़िवादी सरकार के मुखर आलोचक बन गए और अंतत: इस्तांबुल के वाणिज्य दूतावास के भीतर उनकी हत्या कर दी गई। वाशिंगटन पोस्ट समाचारपत्र के लिए लिखे अपने अंतिम स्तंभ में खशोगी ने संभवत: पश्चिम एशिया में अभिव्यक्ति की अधिक स्वतंत्रता के लिए आग्रह किया। उन्होंने लिखा, “अरब विश्व अपने खुद के अवरोधकों का सामना कर रहा है जो किन्हीं बाहरी तत्वों द्वारा नहीं, बल्कि सत्ता की होड़ वाले घरेलू बलों के माध्यम से लागू किया जा रहा है।”

इस लेख के बाद उनकी आवाज अब हमेशा के लिए शांत हो गई। विवाह संबंधी कागजात हासिल करने दो अक्टूबर को इस्तांबुल स्थित अपने देश के दूतावास में प्रवेश के बाद से लापता हुआ सऊदी अरब का यह पत्रकार सऊदी अरब के शक्तिशाली शहजादे मोहम्मद बिन सलमान से मतभेद होने के बाद 2017 में स्व-निर्वासन में अमेरिका चला गया था। उनका लापता होना एक रहस्य बन गया और इसके साथ ही घटना ने सऊदी अरब एवं अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय संकट पैदा कर दिया। 

रियाद ने खशोगी के दूतावास से जीवित बाहर निकलने की बात बार-बार कहने के बाद करीब दो हफ्ते बाद स्वीकारा कि दूतावास के भीतर मिले लोगों से झगड़े के बाद उनकी मौत हो गई। खशोगी का ताल्लुक तुर्की मूल के एक प्रमुख सऊदी अरब परिवार से था। उनके दादा मोहम्मद खशोगी सऊदी अरब के संस्थापक शाह अब्दुल अजीज अल-सऊद के निजी डॉक्टर थे। युवा ओसामा बिन लादेन के दोस्त, मुस्लिम ब्रदरहुड के हमदर्द, सऊदी अरब के शाही परिवार के सहयोगी, देश के शासन के आलोचक एवं एक उदारपंथी- इन सभी विरोधाभासी व्याख्याओं का संब‍ंध खशोगी से था।

इंडियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से स्नातक करने के बाद उन्होंने सऊदी अरब के दैनिक समाचारपत्रों - सऊदी गजट और अल शर्क अल-अवसत में काम करना शुरू किया। युवा पत्रकार के तौर पर खशोगी ने कई बार बिन लादेन का साक्षात्कार लिया जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचा। लेकिन 1990 में उन्होंने लादेन से दूरी बना ली थी। सऊदी अरब के पाक शहर मदीना में 13 अक्टूबर, 1958 को जन्मे खशोगी ने युवावस्था के दौरान इस्लामी विचारधारा पढ़ी और उदारपंथी विचारों को अपनाया।

लेकिन देश के अधिकारियों ने खशोगी को अत्यधिक प्रगतिशील पाया और उन्हें 2003 में मात्र 54 दिन काम करने के बाद दैनिक समाचारपत्र अल वतन के मुख्य संपादक के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। शहजादे मोहम्मद को देश के सबसे शक्तिशाली राज सिंहासन का वारिस नियुक्त किए जाने के कुछ ही महीनों बाद खशोगी सितंबर 2017 में सऊदी अरब से चले गए थे। वाशिंगटन पोस्ट में पिछले साल प्रकाशित एक लेख में खशोगी ने कहा था कि देश के शासक शहजादे मोहम्मद के अधीन सऊदी अरब “डर, धमकी, गिरफ्तारियों एवं सार्वजनिक अपमान” के नए युग में प्रवेश कर रहा है। 

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