By अनन्या मिश्रा | Oct 02, 2025
आज ही के दिन यानी की 02 अक्तूबर को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। वह सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी हमेशा जमीन से जुड़े रहने वाली शख्सियत थे। बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों के लिए पीएम वेतन का भी त्याग कर दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। उन्होंने देश की आजादी में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। लाल बहादुर शास्त्री सादगी, त्याग और दृढ़ संकल्प की मिसाल थे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
उत्तर प्रदेश में वाराणसी से थोड़ी दूरी पर बसे एक छोटे से शहर मुगलसराय में 02 अक्तूबर 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। जब वह डेढ़ साल के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनकी मां उन्हें और बाकी दो बच्चों को लेकर पिता के घर चली गई थीं। शास्त्री एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद वह हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वाराणसी चले गए। इस दौरान उनके पास जूते नहीं थे, तो वह कई किमी नंगे पैर पैदल पढ़ने जाते थे।
शाही रियासतों और भारत के राजाओं द्वारा देश में ब्रिटिश हुकूमत को मिलने वाले समर्थन का गांधी जी विरोध कर रहे थे। गांधी जी के इस कदम से लाल बहादुर शास्त्री प्रभावित हुए। उनकी रुचि देश के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ती गई। जब वह सिर्फ 11 साल के थे, तभी उनके मन में देश के लिए लड़ने की भावना जागने लगी थी।
जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन के लिए देशवासियों का आह्वान किया था, उस दौरान लाल बहादुर शास्त्री की उम्र 16 साल थी। फिर उन्होंने पढ़ाई छोड़कर गांधी जी के आंदोलन में जाने का मन बना लिया। साल 1930 में दांडी यात्रा के बाद पूरे देश में अंग्रेजों के काले कानून के खिलाफ आंदोलन की लहर चल पड़ी। तब लाल बहादुर शास्त्री पूरे जोश के साथ आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए। उन्होंने कई कैंपेन्स की अगुवाई की। जिसका नतीजा यह निकला कि लाल बहादुर शास्त्री को कुल मिलाकर करीब 7 साल जेल में रहना पड़ा।
स्वतंत्रता संग्राम में शास्त्री की भूमिका ने उन्हें एक लोकप्रिया नेता बना दिया था। देश की आजादी से ठीक पहले साल 1946 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब लाल बहादुर शास्त्री को उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव बनाया गया। फिर वह जल्दी ही वहां के गृहमंत्री भी बने। साल 1951 में शास्त्री जी दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय मंत्रिमंडल में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, रेल मंत्र और गृह मंत्री का पद संभाला।
पंडित नेहरू के निधन के बाद 09 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। साल 1965 में जब पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की, तो लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाक सेना को खदेड़ दिया। जब भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी को यह मालूम हुआ कि कई लोगों को रोज का खाना नहीं मिल रहा है, तो उन्होंने अपना पीएम वेतन लेना बंद कर दिया और उस वेतन को देशवासियों के हित में लगाया।
बतौर पीएम लाल बहादुर शास्त्री अधिक समय तक देश सेवा नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री बनने के 19 महीनों बाद 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में हार्ट अटैक के कारण लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया।