जानिये टेक-होम, ग्रॉस सैलरी में फर्क, समझिए कैपिटल गेन्स

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 03, 2016

प्रभासाक्षी के लोकप्रिय कॉलम 'आर्थिक विशेषज्ञ की सलाह' में लगातार ऐसे प्रश्न मिल रहे हैं जोकि काफी हद तक मिलते जुलते हैं। हमने कुछ ऐसे प्रश्नों को छांटा है जोकि सर्वाधिक मिलते जुलते लगे। पाठकों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक व कंपनी सचिव श्री बी.जे. माहेश्वरी जी। श्री माहेश्वरी पिछले 32 वर्षों से कंपनी कानून मामलों, कर (प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष) आदि मामलों को देखते रहे हैं। यदि आपके मन में भी आर्थिक विषयों से जुड़े प्रश्न हों तो उन्हें edit@prabhasakshi.com पर भेज सकते हैं। प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होने वाले इस कॉलम के अगले अंक में आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास रहेगा।

 

प्रश्न-1. मैं हाउस प्रॉपर्टी पर आय की गणना का फॉमूला जानना चाहता हूँ। (अजय कटारिया, फरीदाबाद)

 

उत्तर- हाउस प्रॉपर्टी पर आय की गणना सेक्शन 22 के अंतर्गत आती है। सेक्शन 23 में इसकी गणना निम्न प्रकार से दर्शायी गई है।
(A) वह राशि जो प्रापर्टी को Lease/Rent पर देने पर मिल सकती है।
(B) वास्तविक वार्षिक प्राप्त किराया, जो भी अधिक है, गिनी जाती है।

 

प्रश्न-2. हमारी कंपनी हमें कोई मेडिकल अलाउंस नहीं देती है लेकिन हमारा स्वास्थ्य पर जो खर्च होता है क्या उसे हमें निजी रूप से क्लेम कर सकते हैं या मेडिकल बिल कंपनी के माध्यम से ही क्लेम किये जा सकते हैं? (जीतू उपाध्याय, मथुरा)

 

उत्तर- आपकी कंपनी से आपको मेडिकल अलाउंस न मिलने की स्थिति में आप स्वास्थ्य पर हुए खर्च को ITR फाइल करते समय दिखा सकते हैं। इसकी अधिकतम सीमा रुपये 30,000/- है।

 

प्रश्न-3. मैंने हाल ही में एक नई जॉब ज्वाइन की है। ज्वाइनिंग से पहले मुझे जो सैलरी बतायी गयी थी उससे कम मिली जब मैंने कारण पूछा तो तकनीकी कारण बता दिये गये। मैं टेक-होम सैलरी, नेट सैलरी, ग्रॉस सैलरी और कॉस्ट टू कंपनी के बीच का अंतर जानना चाहती हूँ? (रीमा सेंगर, नोएडा)

 

उत्तर- टेक-होम और नेट सैलरी वह सैलरी है जो आपको इनकम टैक्स, पीएफ और अन्य डिडक्शन के बाद मिलती है।
- ग्रॉस सैलरी वह कुछ राशि जो आपकी पे-स्लिप में किसी भी डिडक्शन के पहले है।
- सीटीसी वह राशि है जो ग्रॉस सैलरी के अलावा कंपनीज कॉन्ट्रीब्यूशन टूपीएफ, Leave i.e. PL, CL, SL इत्यादि और ग्रैचुइटी का समावेश है।

 

प्रश्न-4. मैं एक निजी कंपनी में कार्य करता हूँ। कृपया मुझे बताएँ कि नॉन टैक्सेबल अलाउंस कौन-कौन से होते हैं? (जयवीर राणा, दिल्ली)

 

उत्तर- नॉन टैक्सेबल अलाउंस निम्न प्रकार हैं-
- चिल्ड्रन एज्यूकेशन अलाउंस- 200/- प्रति बच्चा प्रतिमाह।
- कन्वेयन्स अलाउंस- 1600/- प्रतिमाह
- एचआरए
- एलटीए

 

प्रश्न-5. मैं फॉर्म 16 और फॉर्म 16-ए के बीच अंतर जानना चाहती हूँ। (ज्योति चावला, अंबाला)

 

उत्तर- फार्म-16 वेतनभोगी कर्मचारियों को दिया जाता है। फार्म-16 ए उनको दिया जाता है जो वेतनभोगी नहीं है।

 

प्रश्न-6. टीडीएस में ज्यादा रकम काट ली गयी हो तो इसे कैसे क्लेम किया जा सकता है? (कमलेश कुमार सिंह, कानपुर)

 

उत्तर- टीडीएस की ज्यादा रकम काट ली गई हो तो उसे आप अपने ITR में क्लेम कर सकते हैं।

 

प्रश्न-7. एल.टी.ए. के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जमा कराना जरूरी है? मैं यह भी जानना चाहता हूँ कि यह सैलरी का कितनी प्रतिशत रकम होती है? (एफ.ए. खान, उदयपुर)

 

उत्तर- एल.टी.ए के लिए एयर टिकट/ट्रेन टिकट की कॉपी प्रस्तुत की जा सकती है। इसका प्रतिशत कंपनी टू कंपनी पर निर्भर है।


प्रश्न-8. जब कोई आई.पी.ओ. ओवरसब्सक्राइब हो जाता है तो फिर शेयरों के आवंटन के लिए कौन-सा फॉर्मूला अपनाया जाता है? (अमर अग्रवाल, मेरठ)

 

उत्तर- किसी भी आई.पी.ओ में आवेदकों की निम्न केटेगरी होती है।
(A) इंस्टीट्यूट्स और 'क्यूआइबीस'- क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर।
(B) एच एन आई-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स।
(C) रिटेल केटेगरी जिसमें अधिकतम एप्लीकेशन मनी रुपये 2 लाख है।
(D) शेयरों का आवंटन ओवर सब्सक्राइब के प्रतिशत के अनुसार ड्रॉ आफ लाट द्वारा किया जाता है।

 

प्रश्न-9. मैंने एक बिल्डर फ्लैट बुक कराना है। बिल्डर मुझे नो ईएमआई ऑप्शन लेने के लिए कह रहा है। जिसके तहत मुझे अभी दस प्रतिशत रकम देनी है और 80 प्रतिशत रकम लोन कराकर बिल्डर को देनी है। इस ईएमआई पर पजेशन तक ब्याज बिल्डर देने की बात कह रहा है। क्या यह विकल्प सही है? (लोकेश गर्ग, गुड़गाँव)

 

उत्तर- फ्लैट बुक कराने से पहले बिल्डर की रेपुटेशन, पास्ट एक्सपीरियंस, परफारमैन्स, रेट पर स्क्वायर फुट जो एरिया के हिसाब से रियालिस्टीक हो आदि को ध्यान में रखें, यदि उचित पाते हैं तो विकल्प पर जा सकते हैं।

 

प्रश्न-10. कैपिटल गेन्स क्या होते हैं और कितने प्रकार के होते हैं, इनकी गणना कैसे की जाती है? (सुधांशु शर्मा, मुरादाबाद)

 

उत्तर- कैपिटल गेन्स दो प्रकार के हैं।

 

(A) शार्ट टर्म कैपिटल गेन।
(B) लांग टर्म कैपिटल गेन।

 

शार्ट टर्म कैपिटल गेन वह गेन है जो आपको किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर की खरीद की तारीख से 12 महीने के भीतर बेचने पर होता है और यही गेन 12 महीने के बाद है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।

 

शेयर्स के अलावा किसी अन्य प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त से हुआ गेन 3 साल के भीतर शार्ट टर्म और 3 साल के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है।


नोटः कर से जुड़े हर मामले चूँकि भिन्न प्रकार के होते हैं इसलिए संभव है यहाँ दी गयी जानकारी आपके मामले में सटीक नहीं हो इसलिए अपने विशेषज्ञ की सलाह भी ले लें।

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