By अनन्या मिश्रा | Dec 26, 2025
कुछ दशकों पहले तक जो बीमारियां उम्र बढ़ने के साथ हुआ करती थीं। वह बीमारियां अब कम उम्र के लोगों और बच्चों को भी अपना शिकार बना रही हैं। यह वजह है कि हेल्थ एक्सपर्ट कम उम्र से ही स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। बता दें कि बच्चों का खानपान, खासकर अधिक शुगर और नमक का सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता जा रहा है। शोध बताते हैं कि बच्चों के खाने में शुगर की अधिकता जैसे चॉकलेट, बिस्किट और जूस आदि उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है।
अगर समय रहते इसको कंट्रोल न किया जाए, तो इससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा हो सकता है। ऐसे में अगर आपका लाडला बच्चा भी अगर चीनी वाली चीजों का अधिक सेवन कर रहा है, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर बीमारियों को न्योता देने जैसा है।
अध्ययनों से यह पता चलता है कि अधिक चीनी का सेवन करने से बच्चों में बार-बार बीमार पड़ने, एकाग्रता की कमी, मोटापा, हाइपरएक्टिविटी, प्रतिरोधक क्षमता की कमजोरी, दांतों की सड़न और डायबिटीज जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। वहीं पैक्ड फूड्स में भी हाई कैलोरी और हाई शुगर होती है, जिसको बच्चे काफी ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन लंबे समय तक इन चीजों का सेवन करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताया कि ज्यादा चीनी का सेवन करने से वेट बढ़ने और मोटापे से लेकर दिल की बीमारियों और डायबिटीज तक बच्चों की सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं।
क्या जीवन के शुरूआती दौर में शुगर की मात्रा का सेवन कम करने से बड़े होने पर दिल की बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है। हालांकि इसको समझने के लिए विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन किया।
इस अध्ययन में पाया गया कि जीवन के पहले 1,000 दिनों तक यानी की करीब 3 साल तक अगर बच्चों को चीनी वाली चीजें कम दी जाएं, तो इससे बड़े होने पर कार्डियोवैस्कुलर यानी की दिल और धमनियों से संबंधित बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है।
यूके बायोबैंक में 63,433 बच्चों के डेटा अध्ययन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई। इन बच्चों में कोई आम कार्डियोवैस्कुलर बीमारी नहीं थी। इस अध्ययन में पाया गया कि जिन बच्चों को जन्म के दो साल तक चीनी वाली चीजें कम दी गई हैं, उनमें कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा उन बच्चों की तुलना में 20 प्रतिशत कम था, जिन बच्चों ने चीनी से भरपूर चीजों का सेवन किया था।
जो बच्चे कम चीनी का सेवन करते हैं, उनमें हार्ट फेलियर 26%, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन 25%, एट्रियल फिब्रिलेशन 24%, स्ट्रोक 31% और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से होने वाली मौत का 27% का जोखिम कम था।
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, अक्सर बच्चे दिनभर में जितना चीनी का सेवन करते हैं, उनका उनको पता नहीं चलता। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिनभर बच्चों को 25 ग्राम से अधिक चीनी नहीं लेनी चाहिए। लेकिन भारत में अधिकतर बच्चे कहीं अधिक चीनी रोजाना ले रहे हैं। इसका सीधा असर बच्चों के दांतों, वजन, ऊर्जा लेवल और यहां तक कि फ्यूचर में होने वाली बीमारियों पर भी पड़ता है।