व्यापार जगत के लिए 'लॉकडाउन' डरावना ! हुआ था चौतरफा घाटा

By अनुराग गुप्ता | Dec 18, 2020

नयी दिल्ली। लॉकडाउन नामक शब्द बहुत डरावना है क्योंकि इस शब्द के सामने आते ही एक अलग प्रकार का दृश्य जहन में दिखाई देने लगता है, जैसे- आजादी के बाद का सबसे बड़ा पलायन, बिक्री में गिरावट, राजस्व घाटा इत्यादि। लॉकडाउन ने बहुत सारे मजदूरों से उनका रोजगार छीन लिया तो कुछ लोगों को बेघर कर गया लेकिन इसके बावजूद एक मजबूत इच्छा शक्ति के साथ देश का लगभग हर एक तबका इससे उबरने के प्रयासों में जुटा रहा और मजबूत भारत निर्माण की दिखा की तरफ आगे बढ़ता रहा।

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अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन लागू कर लोगों को उनके घरों में कैद कर दिया है। उस वक्त से भारत में पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क के कंट्रोलर जनरल के आधिकारिक पोर्टल को विभिन्न उत्पादों के लिए "लॉकडाउन" शब्द को लेकर ट्रेडमार्क अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए कम से कम 57 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेडमार्क के रूप में इसके इस्तेमाल वाला पहला आवेदन 20 मार्च को दिया गया था लेकिन चार दिन बाद 24 मार्च को देशव्यापी 'लॉकडाउन' की घोषणा की गई। हालांकि, 20 मार्च से पहले "लॉकडाउन" के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए एक भी अनुरोध दर्ज नहीं किया गया था।

लॉकडाउन औद्योगिक तेल, कीटनाशक, पशु चारा, दवा उत्पाद, दवाएं, वैज्ञानिक और शल्य चिकित्सा उपकरण, कपड़े, जूते, खेल और खेल के उपकरण जैसे उत्पादों के लिए एक मांग के बाद का नाम है। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा मांग वाले आवेदन काफी, चाय और नास्ते के लिए आए थे। 

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, जानकार बताते हैं कि जब कभी भी कोई शब्द बहुत ज्यादा लोकप्रिय होता है तब व्यापारी और निर्माता अपने उत्पादों को उनके नाम के साथ जोड़कर प्रचार-प्रसार करते हैं और रिकॉल वैल्यू को बनाने में जुट जाते हैं।

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