दिल्ली-NCR में वायु की खराब गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में कमी आई: जावडेकर

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 07, 2019

नयी दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इस क्षेत्र में ‘खराब’ वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या 2014 में 300 थी, जो 2018 में घटकर 206 हो गई। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि स्थिति ‘उतनी बुरी नहीं’ है, जितना मीडिया पेश कर रहा है। जावडेकर ने कहा, ‘‘मीडिया में आने वाली खबरों में हमेशा ऐसी तस्वीर पैदा की जा रही है कि वायु प्रदूषण की वजह से लाखों लोगों की मौत हो रही है, लेकिन स्थिति उतनी खराब नहीं है। हां, प्रदूषण है, लेकिन प्रयास किये जा रहे हैं।’’

 

उन्होंने कहा, ‘‘खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या 2016 में 246 थी, 2014 में यह 300 के करीब थी, 2017 में यह 213 पर आ गई जबकि 2018 में यह घटकर 206पर आ गई। मुझे भरोसा है कि जब 2019 के आंकड़े आएंगे तो खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या और घटेगी। यह जबर्दस्त सफलता है। खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या घटी है। यह उल्लेखनीय सुधार है।’’

खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में 2014 की तुलना में 2018 में 33 फीसदी तक की गिरावट आई है।

इसे भी पढ़ें: MEA ने किया स्पष्ट, मोदी-इमरान के बीच नहीं होगी द्विपक्षीय बैठक

उन्होंने यह भी कहा कि ‘मध्यम’ से ‘अच्छी’ वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या 2016 में 108 थी जो 2018 में बढ़कर 159 हो गई। अच्छी वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या में वृद्धि दिल्ली-एनसीआर के लिये पिछले चार साल में किये गए ठोस प्रयासों का नतीजा है। लोगों से भागीदारी का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा कि सिर्फ मास्क पहनने से काम नहीं चलेगा। हर व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी से काम करना होगा।

 

प्रमुख खबरें

‘INDIA’ गठबंधन के साझेदारों में मतभेद से पूरे बंगाल में देखने को मिल रहा है त्रिकोणीय मुकाबला

Apple वॉच ने दिल्ली की महिला की बचाई जान, सटीक और उन्नत सुविधाओं के लिए टिम कुक को धन्यवाद दिया, CEO ने दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस संगठन के असहयोग और अविश्वास के कारण नामांकन वापस लिया : Akshay Kanti Bam

इनकी नीयत में खोट है, इटावा में PM Modi ने खोली Samajwadi Party और Congress के तुष्टिकरण की पोल