नई दिल्ली। 16 जुलाई की मध्य रात्रि के बाद से 17 जुलाई की सुबह तक चंद्रग्रहण लगा रहा। यह करीब 1 बजकर 33 मिनट में शुरू होकर सुबह 4:30 बजे तक रहा। 149 वर्षों के बाद ऐसा हो पाया जब चंद्रग्रहण माघ पूर्णिमा के अवसर पर लगा। इससे पहले 12 जुलाई 1870 को भी गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगा था। चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच रही।
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देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों ने इस चंद्रग्रहण को देखा और गवाह भी बने। चंद्रग्रहण के करीब 9 घंटे पहले ही सूतक लग गया था और इस समय सभी मंदिरों के पट बंद रहे। आपको बता दें कि सूतक लगने से कुछ वक्त पहले ही मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और इस समय किसी भी देवी-देवताओं के दर्शन नहीं करने दिए जाते। लेकिन सूतक समाप्त होने के बाद मंदिरों की विधिवत सफाई की जाती है और फिर पूजा अचर्ना कर द्वार खोले जाते हैं।
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