By अभिनय आकाश | Mar 01, 2022
यूक्रेन की राजधानी कीव में स्थिति बिगड़ती जा रही है। यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे के लिए रूस की तरफ से बेहद बड़ा सैन्य काफिला भेजा गया है। रूस का 64 किलोमीटर लंबा काफिला कीव की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यूक्रेन की सेना रूस की विशालकाय सेना के सामने बौनी सी है। लेकिन फिर भी यूक्रेन की तरफ से बहादुरी से लड़ा जा रहा है। इसके साथ ही यूक्रेन के आम नागरिकों से लेकर बच्चे तक के रूसी सैनिकों, टैंकों के आगे सीना तानकर खड़े होने की तस्वीरें भी खूब वायरल हो रही हैं। इसके साथ ही यूक्रेन की महिलाओं ने भी हाथों में हथियार थाम मोर्चा संभाला हुआ है। वैसे तो यूक्रेन की महिला सैनिकों के बारे में चर्चा अक्सर होती है। लेकिन इस वक्त इनकी बहादुरी का जिक्र भी खूब हो रहा है और कई सारी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जिसमें इन्हें एके-47 राइफलों के साथ अभ्यास करते हुए दिखाया जा रहा है। वे रूस को खुलकर चुनौती दे रही हैं।
महिला सैनिकों की तस्वीरों के साथ ही एक किरदार का जिक्र भी खूब हो रहा है। जिसके कारनामों न केवल दुश्मन सेना के दांत खट्टे किए बल्कि पूरी दुनिया को नारी शक्ती का दीदार भी कराया। ये 1 सितंबर 1939 की बात है। जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला करके द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत की। इस शुरुआत के साथ ही 1939 से 1945 तक युद्धों का एक सिलसिला सा चल पड़ा। जिसमें 60 देशों के करीब 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया। पांच से सात करोड़ लोगों की जान लेने वाले इस द्वितीय विश्व युद्ध को अब तक के मानव इतिहास के सबसे भयंकर युद्धों में से एक माना जाता है। जिसमें 60 देशों की जल, थल और वायुसेना ने पूरे विश्व के नक्शे को बदलने का जिम्मा उठाया था।
‘लेडी डेथ’ की द्वितीय विश्व युद्ध में एंट्री
इस युद्ध में कुछ ऐसे किरदार भी शामिल थे जिनकी सनक ने इसे ऐसे जंग के मैदान में तब्दिल कर दिया जहां सिर्फ लाशें गिराई जा रही थीं। लेकिन उन्हें कंधा देना तो दूर उनकी गिनती करने का जोखिम कोई नहीं उठाना चाहता था। जर्मनी की नाजी सेना जो तानाशाह हिटलर के नेतृत्व में इस युद्ध को लड़ रही थी। लेकिन हिटलर के आतंक को विराम लगाने के लिए सामने लेडी डेथ के नाम से मशहूर स्नाइपर ल्यूडमिला पवलिचेंको आ खड़ीं थीं। जिनका नाम मौजूदा दौर के यूक्रेन प्रांत में 12 जून 1916 के घर में हुआ था। 1932 में महज सोलह साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। लेकिन ये शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली। बचपन से लेकर सोवियत की रेड आर्मी ज्वाइन करने का उनका सफर उनके ही शब्दोें में एक टॉम ब्वॉय के शूटिंग क्लब ज्वाइन करने का था। जिसके बाद इस लेडी डेथ के आगे का पूरा करियर चल पड़ा। इसकी असल शुरुआत तो तब हुई नर्स बनने के ऑफर को ठुकरा उन्होंने रेड ऑर्मी की इनफेंट्री ज्वाइन करने का निर्णय लिया। अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने कीव यूनिवर्सिटी की अपनी चार साल की हिस्ट्री की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होने के लिए निकल पड़ीं। ये वो वक्त था जब जर्मनी ने सोवियत यूनियन पर हमला कर दिया था।
हिटलर के 309 सैनिकों को चुन-चुनकर मारा
सोवियत की 2000 महिला स्नाइपर्स में से एक ल्यूडमिला पवलिचेंको ने हिटलर के 309 सैनिकों को चुनचुनकर मारने के साथ ही नाजियों को थर्राने पर मजबूर कर दिया। इस महिला जांबाज ने अपने टोकरेब एसवीटी 40 सेमीऑटोमेटिक राइफल का प्रयोग कर पहला शिकार वेलयायूका में दो लोगों को मारकर शुरू किया और फिर ये सिलसिला रूका ही नहीं। ढाई साल की लड़ाई में इन्होंने 187 दुश्मन देश के सैनिकों को ढेर किया और अंतत: रोमानिया में ओडेशा पर नियंत्रण मिला तो उनकी यूनिट को सेवासेटो पर भेजा गया।
यूक्रेन की सेना में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े जंग में वीरता की कहानी लिखी जाए तो क्या पता कोई नई ल्यूडमिला की दास्तां निकलकर सामने आए। दरअसल, यूक्रेन के 1993 से अपनी सेना में महिलाओं की नियुक्ति की है। सेना में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत है। यूक्रेन 1993 से अपनी सेना में महिलाओं को नियुक्त कर रहा है। सेना में महिलाओं की भागीदारी 15 प्रतिशत है। सैन्य अधिकारियों के रूप में कुल 1100 महिलाएं तैनात हैं। युद्ध के मैदान में 13000 से अधिक महिलाएं मौजूद हैं। वर्तमान में, यूक्रेन की महिला सैनिक रूसी सैनिकों से मुकाबला कर रही हैं।
कई मौकों पर संभाला है मोर्चा
यूक्रेन में 30 हजार से अधिक महिला सैनिकों हैं जिसमें 20 से 60 साल की गृहणियां और कामकाजी महिलाएं भी शामिल हैं। ये महिला सैनिक किसी भी पुरुष सैनिक टुकड़ी पर भारी पड़ने के लिए काफी हैं। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था तब महिला सैनिकों ने अपना दम दिखाया था। रूस हमले में बड़ी संख्या में यूक्रेनी नागरिकों और सैनिकों की मौत भी हो गई थी।