राष्ट्रीय स्तर पर खनिज समृद्ध राज्यों में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य

By दिनेश शुक्ल | Mar 25, 2021

भोपाल। भारत के आठ खनिज समृद्ध राज्यों में मध्य प्रदेश अग्रणी राज्य है। हीरा उत्पादन के मामले में प्रदेश को एकाधिकार प्राप्त है। इसके साथ ही ताम्र अयस्क, मैग्नीज उत्पादन में भी अन्य राज्यों से आगे है। रॉक फास्फेट और चूना पत्थर उत्पादन में दूसरे एवं कोयला उत्पादन के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में खनिज विभाग ने कोरोना जैसी महामारी के दौर में प्रभावी कार्यवाही से इस वित्तीय वर्ष में अब तक 05 हजार 156 करोड़ रूपये से ज्यादा राजस्व हासिल किया है।

 

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प्रदेश में एक वर्ष में अवैध उत्खनन के 973, अवैध परिवहन के 7952 और अवैध भण्डारण के 662 इस प्रकार कुल 9 हजार 587 प्रकरण दर्ज किये गये। इन दर्ज प्रकरणों में निराकृत किये गये 7466 प्रकरणों से विभाग को 30 करोड़ 70 लाख रूपये की राशि अर्थदण्ड के रूप में प्राप्त हुई। इनमें से अवैध उत्खनन से 3 करोड़ 85 लाख, अवैध परिवहन से 24 करोड़ 04 लाख और अवैध भण्डारण की कार्रवाई से 02 करोड़ 81 लाख रूपये की रिकार्ड वसूली हुई।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त निदेश के परिप्रेक्ष्य में खनिज विभाग ने गौण खनिज नियम 1996 में इसी साल जनवरी माह में बदलाव किया है। इस बदलाव से स्थानीय लोगों को रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित होंगे। पट्टाधारी खदानों में प्रदेश के ही 75 प्रतिशत मजदूरों को रोजगार देना जरूरी किया गया है। इसके अलावा नियमों में बदलाव से राजस्व प्राप्ति में भी इजाफा हो सकेगा। गौण खनिज नियम में किये गये बदलाव से निजी और सरकारी भूमि पर गौण खनिज की खदानों की मंजूरी दी जायेगी।

 

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इस संशोधन के पहले के सभी उत्खनन पट्टा और पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति के आवेदन को 22 जनवरी 2021 से निरस्त किये जा चुके हैं। राज्य के बाहर से परिवहन होकर आने वाले गौण खनिजों पर 25 रूपये घन मीटर की दर से विनिमय शुल्क लिया जायेगा। 31 गौण खनिजों की रायल्टी और डेडरेंट की दरें भी पुनरीक्षित हुई है। रेत-बजरी की रायल्टी 125 रूपये प्रति घन मीटर और यांत्रिक क्रिया द्वारा पत्थर से बनाई जाने वाली रेत की रायल्टी 50 रूपये प्रति घन मीटर तय की गई है।

सभी गौण खनिजों के उत्खननपट्टों में पट्टाधारियों को देय रायल्टी के अलावा उसकी 10 प्रतिशत समतुल्य राशि जिला खनिज प्रतिष्ठान मद में लिये जाने का प्रावधान किया गया है। इस राशि का उपयोग खनन प्रभावी क्षेत्रों के विकास में किया जायेगा। संशोधन के फलस्वरूप प्रदेश में अब तक गौण खनिजों से रूपये 07 करोड़ डी.एम.एफ. मद में प्राप्त हो चुके हैं। उत्खननपट्टा आवेदन शुल्क से 5 करोड़ 50 लाख रूपये की राशि प्राप्त हुई है। राज्य के बाहर से आने वाले खनिज वाहनों पर 12 लाख रूपये की राशि राजस्व के रूप में प्राप्त हुई है।

 

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प्रदेश में नयी रेत नीति में जिलेवार रेत खदान के समूह बनाकर ई-टेण्डर प्रक्रिया लागू कर दी गई है। इस व्यवस्था से रेत खनन वाले 43 जिलों में से 42 जिलों से राज्य शासन को 01 हजार 400 करोड़ रूपये का सालाना राजस्व अर्जित हो सकेगा। प्रदेश की जीवन - रेखा नर्मदा नदी में रेत खनिज का उत्खनन मशीनों से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। अन्य नदियों में रेत खनन में मशीनों का उपयोग करने की अनुमति पर्यावरण स्वीकृति के आधार पर दिये जाने का प्रावधान नयी रेत नीति में किया गया है।

विभाग की गतिविधियों को ऑनलाईन करने के लिए वेब पोर्टल 'ई-खनिज' बनाया गया है। इस पोर्टल को परिवहन विभाग से लिंक किया गया है। खनिज परिवहन के लिए पट्टेदार / ट्रांसपोर्टर द्वारा वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। खनिज प्रशासन के और अधिक सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से जिला स्तर पर 49 जिलों में खनिज भवन का निर्माण पूर्णं हो चुका है। खनिज नमूनों के रासायनिक विश्लेषण के लिए क्षेत्रीय कार्यालय, जबलपुर में स्थापित प्रयोगशाला में आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराये गये हैं।