महात्मा गांधी ने वीर सावरकर से अंग्रेजों के सामने दया याचिका दायर करने को कहा: राजनाथ सिंह

By रेनू तिवारी | Oct 13, 2021

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को कहा, हिंदुत्व के प्रतीक वीर सावरकर ने महात्मा गांधी के सुझाव पर अंडमान जेल में कैद के दौरान अंग्रेजों के साथ दया याचिका दायर की, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कुछ विचारधारा का पालन करने वालों ने बदनाम किया और इसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

सिंह ने यह बात अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में सावरकर पर एक पुस्तक के विमोचन के दौरान कही, जहां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी सभा को संबोधित किया। भागवत ने कहा कि सावरकर को गलत समझा गया क्योंकि उन्होंने सख्ती से बात की लेकिन तर्क दिया कि अगर पूरे भारत ने उनकी तरह बात की होती, तो देश को विभाजन का सामना नहीं करना पड़ता। वह इस विचार से भी सहमत थे कि सड़कों का नाम मुगल बादशाह औरंगजेब जैसी शख्सियतों के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए। 

महात्मा गांधी ने सावरकर से अंग्रेजों के सामने दया याचिका दायर करने को कहा: राजनाथ सिंह 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आगे कहा कि सावरकर के खिलाफ बहुत झूठ फैलाया गया। यह बार-बार कहा गया कि उन्होंने ब्रिटिश सरकार के समक्ष कई दया याचिकाएं दायर कीं। सच तो यह है कि उन्होंने अपनी रिहाई के लिए ये याचिकाएं दायर नहीं कीं। आम तौर पर एक कैदी को दया याचिका दायर करने का अधिकार होता है। महात्मा गांधी ने कहा था कि आप दया याचिका दायर करें। गांधी के सुझाव पर ही उन्होंने दया याचिका दायर की थी। और महात्मा गांधी ने सावरकर जी को रिहा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि जिस तरह हम शांति से आजादी के लिए आंदोलन चला रहे हैं, वैसा ही सावरकर करेंगे।

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 राजनाथ सिंह ने कहा- वीर सावरकर की उपेक्षा करना  क्षमा योग्य नहीं 

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना क्षमा योग्य और न्यायसंगत नहीं है। राजनाथ सिंह ने उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की पुस्तक ‘‘वीर सावरकर हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टिशन’’ के विमोचन कार्यक्रम में यह बात कही। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी हिस्सा लिया। सिंह ने कहा, ‘‘ एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका वीर सावरकर के जीवन एवं विचारधारा से अपरिचित है और उन्हें इसकी सही समझ नहीं है, वे सवाल उठाते रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं लेकिन उन्हें हेय दृष्टि से देखना किसी भी तरह से उचित और न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। राजनाथ सिंह ने कहा कि वीर सावरकर महान स्वतंत्रता सेनानी थे, ऐसे में विचारधारा के चश्मे से देखकर उनके योगदान की अनदेखी करना और उनका अपमान करना क्षमा योग्य नहीं है।

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 वीर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे : राजनाथ सिंह

उन्होंने कहा, ‘‘ वीर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे। देश को आजाद कराने की उनकी इच्छा शक्ति कितनी मजबूत थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों ने उन्हें दो बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई, कुछ विशेष विचारधारा से प्रभावित लोग ऐसे राष्ट्रवादी पर सवालिया निशान लगाने का प्रयास करते हैं। ’’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन पर (सावरकर) नाजीवादी, फासीवादी होने का आरोप लगाते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसा आरोप लगाने वाले लोग लेनिनवादी, मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे और अभी भी हैं।

सिंह ने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो सावरकर ‘यथार्थवादी’ और ‘राष्ट्रवादी’ थे जो बोल्शेविक क्रांति के साथ स्वस्थ लोकतंत्र की बात करते थे। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व को लेकर सावरकर की एक सोच थी जो भारत की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़ी थी। उनके लिये हिन्दू शब्द किसी धर्म, पंथ या मजहब से जुड़ा नहीं था बल्कि भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा था।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस सोच पर किसी को आपत्ति हो सकती है लेकिन इस विचार के आधार पर नफरत करना उचित नहीं है। ’’ उन्होंने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने याचिका दी थी।

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