वाशिंगटन। बुध सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। भारत के चंद्रयान-1 पर लगाए गए नासा के उपकरण ‘मून मिनरोलॉजी मैपर’ (एम-3) ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के ठोस संकेत दिए थे, जिसकी पुष्टि अमेरिका ने गत 24 सितंबर को की।
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चंद्रमा और बुध पर आम समझ से कहीं अधिक पानी की मौजूदगी हो सकती है। नासा अंतरिक्ष यान से मिले आंकड़ों के विश्लेषण में यह निष्कर्ष निकाला गया है। जर्नल ‘नेचर जियोसाइंस’ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चांद और बुध के ध्रुवों के निकट गढ्ढों में बर्फ होने की संभावना है।
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कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के लियोर रूबानेंको ने कहा कि उन्होंने पाया कि उथले क्रेटरउन स्थानों पर मिलते हैं जहां पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास बर्फ पाई गई थी और निष्कर्ष निकाला कि यह शायद बर्फ की मोटी परत के कारण ऐसे हैं। इससे पहले दूरबीन के अवलोकनों और अंतरिक्ष यानों ने बुध ग्रह पर हिमनद जैसे बर्फ के भंडारों का पता लगाया था पर चांद के बारे में अभी तक यह जानकारी नहीं थी। नए अध्ययन से इस इसकी संभावना बलबती हो गई है कि चांद पर भी बर्फ की मोटी परत हो सकती है। चांद और बुध के ध्रुवों को हमारी सौर प्रणाली में सबसे ठंडी जगह माना जाता है।
भारत के चंद्रयान-1 पर लगाए गए नासा के उपकरण ‘मून मिनरोलॉजी मैपर’ (एम-3) ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी के ठोस संकेत दिए थे, जिसकी पुष्टि अमेरिका ने गत 24 सितंबर को की। इस पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा था कि पानी की मौजूदगी के संकेत तो अमेरिका के एम-3 से पहले ही मिल गए थे, जो चंद्रयान-1 पर लगे भारतीय उपकरण ‘मून इंपैक्ट प्रोब’ (एमआईपी) ने दिए थे।