By एकता | Nov 24, 2025
हर किसी को अपने लिए कुछ समय यानी ‘मी टाइम’ चाहिए, फिर चाहे आप शादीशुदा हों या किसी रिलेशनशिप में हों। अक्सर देखा गया है कि शादीशुदा कपल्स को ‘मी टाइम’ और ‘वी टाइम’ के बीच सबसे ज्यादा बैलेंस बनाना पड़ता है, जबकि जो पार्टनर्स अलग रहते हैं उन्हें इस मामले में थोड़ा कम स्ट्रगल करना पड़ता है। लेकिन सच यह है कि दोनो ही समय मी टाइम और वी टाइम रिश्ते की सेहत के लिए बराबर जरूरी हैं। अगर कपल एक-दूसरे का ध्यान नहीं रखेंगे, समय नहीं देंगे या एक-दूसरे की जरूरतों को नहीं समझेंगे, तो रिश्ता धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है। तो आप 'वी टाइम' और 'मी टाइम' को कैसे मैनेज कर सकते हैं?
क्लियर कम्युनिकेशन करें: अपने पार्टनर से खुलकर बात करें कि आपको कितना अकेला समय चाहिए और क्यों। जब दोनों एक-दूसरे की जरूरतें समझते हैं, तो मन में गलतफहमियां नहीं पैदा होतीं।
कैलेंडर प्लानिंग करें: हफ्ते में एक-दो दिन मी टाइम और एक-दो दिन वी टाइम के लिए तय कर लें। यह छोटे-छोटे प्लान रिश्ते में बैलेंस बनाए रखते हैं।
पर्सनल स्पेस को सम्मान दें: अगर आपका पार्टनर कुछ समय अकेले बिताना चाहता है तो इसे ‘इग्नोर’ या ‘दूरी’ न समझें। हर इंसान को रीफ्रेश होने के लिए अपनी जगह चाहिए।
क्वालिटी टाइम पर फोकस करें: 'वी टाइम' का मतलब सिर्फ साथ बैठना नहीं, बल्कि ऐसा समय बिताना है जिसमें बातचीत, समझ और इमोशनल कनेक्शन बढ़े।
हॉबीज को जिंदा रखें: दोनों अपनी-अपनी पसंद की एक्टिविटीज करें। यह न सिर्फ आपको खुश रखता है, बल्कि बातचीत के नए टॉपिक भी देता है।
फोन-फ्री टाइम बनाएं: चाहे मी टाइम हो या वी टाइम, कुछ समय मोबाइल से दूर रहें। इससे समय सच में ‘कनेक्टेड’ महसूस होता है।
सीमाएं तय करें: रिश्ते में यह जानना जरूरी है कि कब साथ रहना है और कब अपने लिए ब्रेक लेना है। हेल्दी बाउंड्रीज रिश्ते को मजबूत बनाती हैं।
एक-दूसरे को रीचार्ज होने दें: जब पार्टनर मी-टाइम लेकर लौटता है, वह ज्यादा खुश, शांत और रेस्पॉन्सिव होता है, इससे रिलेशनशिप और बेहतर बनती है।