By अभिनय आकाश | Jul 23, 2025
भारत से पंगा यूरोपियन यूनियन को महंगा पड़ गया है। रूस की तेल कंपनी रोसनेफ्ट ने नायरा एनर्जी भारत में 70 हजार करोड़ का विशाल निवेश करने जा रही है। जिस कंपनी पर यूरोपीय संघ यानी ईयू ने एकतरफा प्रतिबंध लगाए। उसी नायरा ने ईयू को दो टूक जवाब देते हुए भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की राह पर एक नया इतिहास रचने का ऐलान कर दिया। नायरा एनर्जी वही कंपनी है पहले जिसे इजर ऑयल के नाम से जाना जाता था। आज ये रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के स्वामित्व में है। नायरा एनर्जी गुजरात के वाडीनार में 2 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली तेल रिफाइनरी संचालित करती है। कंपनी के देशभर में करीब 6,800 फ्यूल आउटलेट हैं। नायरा भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 8% और फ्यूल रिटेल नेटवर्क का 7% हिस्सा संभालती है।
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते ईयू ने रूस की कंपनियों पर 18वां प्रतिबंध पैकेज जारी कर दिया। इसमें भारत की कंपनी नायरा एनर्जी को भी शामिल कर लिया गया। ईयू का दावा है कि नायरा एनर्जी रूसी क्रूड प्रोसेसेज करती है। लेकिन हकीकत तो ये है कि भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र है और उसका तेल खरीदना नीतिगत अधिकार है। नायरा सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए क्रूड आयात करती है। न कि यूरोप को सप्लाई करती है। ईयू ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को कोलैट्रल डैमेज की तरह ट्रीट किया।
कंपनी ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों पर कहा कि यह कदम न केवल भारत के हितों को कमजोर करता है, बल्कि लाखों भारतीय नागरिकों और उद्योगों के लिए आवश्यक पेट्रोलियम उत्पादों की निर्बाध आपूर्ति को बाधित करने का जोखिम भी पैदा करता है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि वह भारत के लिए एक विश्वसनीय ऊर्जा भागीदार के रूप में अपनी भूमिका में दृढ़ है। नायरा ने कहा कि वह दीर्घकालिक अवधि में पेट्रोरसायन, एथनॉल संयंत्रों, विपणन अवसंरचना के विस्तार और ईएसजी परियोजनाओं पर 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश जारी रखेगी। हालांकि, उसने परियोजनाओं के बारे में कोई और जानकारी नहीं दी। नायरा ने कहा कि उसने अगस्त, 2017 से भारत में विभिन्न परियोजनाओं में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। उसने कहा कि वह भारत की कुल शोधन क्षमता का लगभग आठ प्रतिशत और खुदरा पेट्रोल पंप नेटवर्क का सात प्रतिशत योगदान करती है। उसने पूरे देश में 55,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर्मचारियों को रोजगार देने का दावा भी किया।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जाँच के बीच, भारत-रूस की नायरा एनर्जी ने डाउनस्ट्रीम बुनियादी ढाँचे में 70,000 करोड़ रुपये के बड़े निवेश के साथ भारत के ऊर्जा भविष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही, कंपनी ने यूरोपीय संघ के नवीनतम प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें भारत के हितों के लिए हानिकारक बताया है। भारत में तीखी प्रतिक्रियाएँ झेलने वाले इस कदम में यूरोपीय संघ द्वारा रूसी कच्चे तेल से जुड़ी संस्थाओं पर शिकंजा कसने के लिए लगाए गए 18वें दौर के प्रतिबंधों में विवादास्पद रूप से नायरा एनर्जी को भी शामिल किया गया है, जो एक निजी भारतीय कंपनी है और पूरी तरह से भारतीय कानूनों के तहत काम करती है। इस निर्णय से व्यापक चिंता उत्पन्न हो गई है, तथा भारत में कई लोग इसे एक अतिक्रमण के रूप में देख रहे हैं, जो देश की ऊर्जा स्वतंत्रता और आर्थिक संप्रभुता के लिए खतरा है।