भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है: सेना प्रमुख नरवणे

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 30, 2021

नयी दिल्ली। भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने यह जानकारी दी। उन्होंने उन आशंकाओं को भी खारिज कर दिया कि चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत है जिससे सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी हो सकती है। जनरल नरवणे ने अपनी राय पर जोर देते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष से अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति हो चुकी है जबकि ढांचागत विकास के लिए कई अन्य खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। उन्होंने  कहा कि सेना का आधुनिकीकरण बिना किसी परेशानी के हो रहा है और इसके लिए जरूरी संसाधन सरकार मुहैया करा रही है।

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जनरल नरवणे ने कहा, ‘‘भारतीय सेना का आधुनिकीकरण ठीक ढंग से चल रहा है। हाल में सामान्य खरीद योजना के तहत 16 हजार करोड़ रू से अधिक लागत के ठेके पूरे किए गए जबकि पांच हजार करोड़ रुपये के 44 ठेके वित्तवर्ष 2020-21 में आपात खरीद योजना के तहत पूरे किए गए थे।’’ थल सेनाध्यक्ष ने कहा, ‘‘कई पूंजीगत खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं।’’ जनरल नरवणे ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही जिसमें पूछा गया था कि क्या सेना के लिए अति आवश्यक आधुनिकीकरण पर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ करीब एक साल से जारी गतिरोध का असर पड़ेगा क्योंकि वहां बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करने की वजह से अधिक संसाधन आवंटित करने की जरूरत है। आधुनिकीकरण का संदर्भ देते हुए सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम किसी समस्या का सामना नहीं कर रहे हैं।’’ बता दें कि सरकार ने फरवरी में वित्तवर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में रक्षा के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे जिसमें से 1,35,060 करोड़ रुपये का प्रावधान पूंजीगत व्यय के लिए अलग से किया था इसमें नए हथियारों, लड़ाकू विमानों, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो सामान की खरीद शामिल है।

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बजट के मुताबिक वित्तवर्ष 2021-22 के लिए रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में पिछले साल के 1,13,734 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.75 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। चीन की बढ़ती आक्रमकता का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए रक्षा विशेषज्ञ गत कुछ सालों से भारतीय सेना का तेजी से आधुनिकीकरण करने पर जोर दे रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में गत वर्ष पांच मई को 45 सालों में पहली बार भारतीय सेना और चीनी सेना में हिंसक झड़प हुई है और तब से अबतक तक दोनों पक्षों के बीच वहां गतिरोध बना हुआ है। पैंगोंग झील के पास सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर सीमित प्रगति हुई है जबकि बाकी स्थानों पर इसी तरह के कदम उठाने के लिए होने वाली वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। जनरल नरवणे ने कहा कि इस समय भारतीय सेना की ऊंचाई वाले इलाकों में सभी अहम स्थानों पर पकड़ है और वहां पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में ‘आरक्षित’ जवान मौजूद हैं। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में मौजूदा समय में करीब 50 से 60 हजार जवान तैनात हैं।

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भारत और चीन के संबंधों में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प के बाद तनाव आ गया था और दोनों पक्षों ने इसके बाद इलाके में हजारों की संख्या में सैनिकों की टैंक और बड़े हथियारों के साथ तैनाती की। सैन्य गतिरोध के नौ महीने के बाद सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटी। गतिरोध वाले स्थानों पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए दोनों पक्षों में 11 दौर की सैन्य वार्ता हुई।अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता कर रहे हैं।

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