Premchand Birth Anniversary: हिंदी साहित्य के 'उपन्यास सम्राट' हैं मुंशी प्रेमचंद, जानिए रोचक बातें

By अनन्या मिश्रा | Jul 31, 2024

आज ही के दिन यानी की 31 जुलाई को हिंदी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार प्रेमचंद का जन्म हुआ था। बंगाल के फेमस उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रेमचंद को 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि दी थी। प्रेमचंद की कहानी और उपन्यास ने आने वाली पीढ़ियों के साहित्यकारों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने साहित्य में यथार्थवाद की नींव रखी थी। उनकी रचनाएं हिंदी साहित्य की धरोहर हैं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर प्रेमचंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में 31 जुलाई 1880 को प्रेमचंद का जन्म हुआ था। इनका मूल नाम धनपतराय था। प्रेमचंद के पिता का नाम अजायब राय था और वे डाकखाने में नौकरी करते थे। प्रेमचंद महज 8 साल के थे, जब उनकी मां का निधन हो गया था। जिसके बाद प्रेमचंद के पिता ने दूसरा विवाह कर लिया। लेकिन प्रेमचंद मां के प्यार से हमेशा महरूम रहे, उनका बचपन काफी अभाव में बीता।

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प्रेमचंद के पिता ने उनकी 15 साल के उम्र में उनकी शादी बड़ी उम्र की लड़की से करा दी। शादी के एक साल बाद उनके पिता का निधन हो गया। ऐसे में पांच लोगों के खाने-खर्चे की जिम्मेदारी प्रेमचंद पर आ गया। हालांकि प्रेमचंद को बचपन से पढ़ने का शौक था और वह वकील बनना चाहते थे। लेकिन गरीबी के कारण वह उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाए। उन्होंने बचपन में उर्दू भाषा सीखी थी। प्रेमचंद को उपन्यास पढ़ने का इतना शौक था कि वह बुकसेलर की दुकान पर बैठकर ही सारे उपन्यास पढ़ डालते थे।


ऐसे शुरू किया लेखन

महज 13 साल की उम्र से प्रेमचंद ने लिखना शुरूकर दिया था। उन्होंने कुछ नाटक और फिर बाद में उपन्यास लिखे। इस तरह से शुरू हुआ प्रेमचंद का साहित्यिक सफर उनके अंतिम समय तक हमसफर रहा। उनकी पहली पत्नी आर्थिक तंगी और पारिवारिक समस्याओं के कारण उन्हें छोड़कर चली गई। जिसके बाद उन्होंने दूसरा विवाह बाल-विधवा शिवरानी देवी से किया। इसके बाद उनकी जिंदगी के हालात बदले और वह अध्यापक से स्कूलों के डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए। इस दौरान प्रेमचंद की पांच कहानियों का संग्रह 'सोज़े वतन छपा' जो बहुत लोकप्रिय हुआ।


उनकी रचना का संसार काफी बड़ा और समृद्ध है। बहुआयामी प्रतिभा के धनी प्रेमचंद ने नाटक, उपन्यास, कहानी, लेख, आलोचना, संस्मरण, संपादकीय जैसी अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियां, 3 नाटक, 15 उपन्यास, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें लिखीं। 


मृत्यु

जीवन के आखिरी दौर में प्रेमचंद मंगलसूत्र उपन्यास लिख रहे थ। जिसको वह पूरा नहीं कर सके थे। लंबी बीमारी के बाद 08 अक्तूबर 1936 को प्रेमचंद ने आखिरी सांस ली।

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