By अनन्या मिश्रा | Oct 08, 2025
हिंदी और उर्दू के महानतम लेखकों में शुमार मुंशी प्रेमचंद का 08 अक्तूबर को निधन हो गया था। मुंशी प्रेमचंद को उपन्यास और कहानियों का सम्राट कहा जाता है। उन्होंने गोदान और गबन समेत कई फेमस उपन्यास लिखे हैं। उनकी रचनाएं हमेशा न्याय, समानता और मानवीय संवेदनाओं के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मुंशी प्रेमचंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को मुंशी प्रेमचंद का जन्म हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। इनके पिता का नाम अजायब राय था और वह डाकखाने में मामूली नौकर के रूप में काम करते थे। जब प्रेमचंद 8 साल के थे, तो उनकी मां का निधन हो गया था। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ने का शौक था, वह आगे चलकर वकील बनना चाहते थे। लेकिन गरीबी के आगे वह बेबस थे।
साल 1921 में असहयोग आंदोलन से सहानुभूति रखने के चलते प्रेमचंद ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन किया और इसके बाद हंस नामक पत्रिका निकाली। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं से समाज और देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला।
साल 1925 में 'रंगभूमि' प्रेमचंद का सबसे बड़ा उपन्यास है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने गांधी युग हिंसात्मक आदर्शों का प्रतीक खड़ा किया था। इसके बाद साल 1932 में कर्मभूम और प्रेमाश्रम और फिर सेवा सदन ने भी समाज में गहरी छाप छोड़ी थी। बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने प्रेमचंद की रचनाओं को देखकर उन्हें 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि दी थी।
प्रेमचंद्र ने अपनी रचनाओं से ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया था। यह समय जून 1908 का था, जब प्रेमचंद की कहानी संग्रह 'सोजेवतन' प्रकाशित हुआ था। इसमें देशप्रेम की कहानियां जैसे दुनिया का सबसे अनमोल रतन, सांसारिक प्रेम और देशप्रेम, शेख मखमूर और यही मेरी मातृभूमि शामिल थीं।
मृत्यु
वहीं 08 अक्टूबर 1936 को मुंशी प्रेमचंद का निधन हो गया था।