Raja Ravi Varma Death Anniversary: भारतीय कला इतिहास के महान चित्रकार और कलाकार थे राजा रवि वर्मा

Raja Ravi Varma
Creative Commons licenses

आज ही के दिन यानी की 02 अक्तूबर को भारतीय कला के इतिहास के सबसे महान चित्रकार और कलाकार राजा रवि वर्मा का निधन हो गया था। उनकी चित्रकलाओं ने अपने समय के सभी राजाओं के दरबार को सुशोभित करने के साथ घर और मंदिरों तक भगवानों की पौराणिक कथाओं की पेंटिंग पहुंची।

राजा रवि वर्मा भारतीय कला के इतिहास के सबसे महान चित्रकार और कलाकार थे। आज ही के दिन यानी की 02 अक्तूबर को राजा रवि वर्मा का निधन हो गया था। राजा रवि वर्मा की चित्रकलाओं ने न सिर्फ अपने समय के सभी राजाओं के दरबार को सुशोभित करने का काम किया था। बल्कि उनके द्वारा बनाई गई भगवानों की पौराणिक कथाओं की पेंटिंग को घर-घर और हर मंदिर में भी पहुंची हैं। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर राजा रवि वर्मा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

तिरुवनंतपुरम के किलिमानूर पैलेस में 29 अप्रैल 1848 को राजा रवि वर्मा का जन्म हुआ था। राजा रवि वर्मा के पहले गुरु उनके ही चाचा राजराजा वर्मा थे। उस दौरान चित्रकारी सीखने वाले छात्रों को शुरूआती पाठ के लिए समतल जमीर और चॉक दी जाती थी। कुछ समय तक इस पर अभ्यास करने के बाद ही छात्रों को कागज पर पेंसिल से चित्र बनाने की अनुमित मिलती थी।

तिरुवनंतपुरम में सीखी चित्रकला

उस दौर में आजकल की तरह चित्रकारी के लिए रंग नहीं मिलते थे। चित्रकारी के लिए पौधों और फूलों से रंग तैयार करने पड़ते थे। साल 1862 में बाल कलाकार रवि वर्मा अपने चाचा राजराजा वर्मा के साथ तिरुवनंतपुरम आयिल्यम तिरुनाल महाराजा से मिलने आए। इस दौरान महाराज ने उनको तिरुवंतपुरम में रहकर चित्रकला सीखने की सलाह दी। इस तरह रवि वर्मा पैलेस में रहकर इटालियल पुनर्जागरण शैली में चित्रकला सीखने लगे। इसके अलावा वह दरबार में रहने वाले तमिलनाडु के कलाकारों से उनकी तकनीक और कला शैली के बारे में भी सीखा।

पश्चिमी चित्रकला

रवि वर्मा ने थियोडोर जेंसन से पश्चिमी शैली की चित्रकला और ऑयल पेंटिंग तकनीक सीखी। थियोडोर जेंसन साल 1968 में त्रिवेंद्रम पैलेस आने वाले डच चित्रकार थे। रवि वर्मा ने महाराजा और राज परिवार के सदस्यों की नई शैली में चित्र बनाए। उनकी पेंटिंग 'मुल्ल्प्पू चूडिया नायर स्त्री' से वह फेमस हुए। साल 1873 में चेन्नई में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में रवि वर्मा को प्रथम पुरस्कार मिला था। इस पेंटिंग को ऑस्ट्रिया के विएना में आयोजित एक अन्य प्रदर्शनी में भी उनको पुरस्कृत किया गया। वहीं साल 1876 में रवि वर्मा की पेंटिंग 'शकुंतला' को चेन्नई में आयोजित एक प्रदर्शनी में पुरुस्कृत किया गया था।

सालों बाद बिकी पेंटिंग

राजा रवि वर्मा को फादर ऑफ मॉडर्न इंडियन आर्ट के नाम से भी जाना जाता था। उनकी एक पेंटिंग 130 से अधिक सालों के बाद नीलाम हुई। उनकी यह प्रतिष्ठित पेंटिंग में से एक यह पेंटिंग 21.61 करोड़ रुपए में बेची गई। इस उत्कृष्ट पेंटिंग का नाम 'द्रौपदी वस्त्रहरण' था। जिसमें महाभारत में महल में दुशासन को कौरवों और पांडवों से घिरी द्रौपदी की साड़ी उतारने की कोशिश करते दिखाया गया।

मृत्यु

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में राजा रवि वर्मा मधुमेह से पीड़ित रहे। वहीं 02 अक्तूबर 1906 को राजा रवि वर्मा की मृत्यु हो गई।

All the updates here:

अन्य न्यूज़