By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 12, 2020
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि अफगान शांति प्रक्रिया में अफगानिस्तान की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। दोहा में आयोजित अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में डिजिटल माध्यम से हिस्सा लेते हुए जयशंकर ने कहा कि शांति प्रक्रिया को मानवाधिकारों और लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अल्पसंख्यकों, महिलाओं और खतरे की आशंका वाले वर्गो के हित सुनिश्चित हों एवं देशभर में हिंसा का प्रभावी समाधान निकाला जाए। जयशंकर ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट के जरिये अपने संबोधन के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने लम्बे समय से जारी भारत के उस रूख की पुन: पुष्टि की कि शांति प्रक्रिया अफगानिस्तान के स्वामित्व वाला, अफगानिस्तान नीत और अफगानिस्तान नियंत्रित होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोगों के बीच मित्रता अफगानिस्तान के साथ हमारे इतिहास की गवाही देती है। हमारी 400 से अधिक परियोजनाओं के जरिये अफगानिस्तान का कोई हिस्सा अछूता नहीं है। हमें विश्वास है कि हमारे सभ्यतागत संबंध आगे बढ़ना जारी रहेंगे।’’ गौरतलब है कि पिछले महीने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान के 400 कैदियों को छोड़ने पर सहमति व्यक्त की थी जिससे युद्धग्रस्त देश में पिछले दो दशकों से जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिये बहुप्रतिक्षित शांति प्रक्रिया शुरू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में भारत एक महत्वपूर्ण पक्षकार है। भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण गतिविधियों में करीब 2 अरब डालर का निवेश किया है। फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारत उभरती राजनीति स्थिति पर करीबी नजर बनाये हुए हैं। इस समझौते के तहत अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटा लेगा। वर्ष 2001 के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 2400 सैनिक मारे गए हैं। भारत का कहना है कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कहीं कोई ऐसा अप्रशासित स्थान रिक्त नहीं रह जाये जिसे आतंकवादी और उनके छद्म सहयोगी भर दें।