मुजफ्फरपुर आश्रयगृह मामला: CBI ने प्रगति रिपोर्ट पटना उच्च न्यायालय को सौंपी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 27, 2018

पटना। सीबीआई ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले में एक प्रगति रिपोर्ट आज एक सीलबंद लिफाफे में पटना उच्च न्यायालय को सौंप दी। सीबीआई के वकील संजय कुमार ने मामले में प्रगति की स्थिति और जांच टीम में शामिल रहे सीबीआई के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी के तबादले पर रिपोर्ट सौंपी। जांच एजेंसी ने यह रिपोर्ट मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायमूर्ति रवि रंजन की एक पीठ को सौंपी। 

 

अदालत में पिछली सुनवाइयों में जारी किए गए आदेश के अनुपालन में रिपोर्ट सौंपी गई है। सीबीआई, पटना के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के साथ कुमार ने रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि इसमें दो पहलू शामिल हैं - जांच की प्रगति रिपोर्ट और इसके एसपी जेपी मिश्रा का तबादला। बहरहाल, पीठ ने मामले की सुनवाई कल के लिए निर्धारित कर दी। 

 

गौरतलब है कि मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपने में सीबीआई के नाकाम रहने को लेकर अदालत ने 23 अगस्त को जांच एजेंसी की खिंचाई की थी। अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी से यह बताने को कहा था कि मामले की जांच कर रहे अधिकारी - मिश्रा का तबादला क्यों कर दिया गया। सीबीआई मुख्यालय द्वारा 21 अगस्त को मिश्रा का तबादला विशेष अपराध शाखा में कर दिया गया था। बिहार में विपक्षी पार्टियों ने मिश्रा के तबादले की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि इस कदम का जांच पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ।

 

बिहार सरकार के अनुरोध पर पटना उच्च न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रहा है।इस बीच,अदालत ने जांच का ब्योरा लीक होने पर भी नाराजगी जाहिर की और मीडिया को इसे प्रकाशित करने से बचने को कहा क्योंकि यह जांच को नुकसान पहुंचा सकता है। सरकारी वित्त प्राप्त मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों का यौन उत्पीड़न होने की बात मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक सोशल ऑडिट में सामने आई थी। इसके बाद, बिहार समाज कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ठाकुर का एनजीओ ही यह बालिका गृह संचालित करता था।

 

हालांकि, इस मामले के सामने आने के बाद व्यापक रोष छाने पर नीतीश कुमार सरकार ने इसकी जांच एक महीने पहले सीबीआई को सौंप दी थी। अदालत ने नौ अगस्त को सीबीआई के एसपी को जांच की प्रगति के सिलसिले में एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। मामले की एक शुरूआती सुनवाई में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय से सीबीआई जांच की निगरानी करने और त्वरित सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधीश तय करने पर विचार करने का अनुरोध किया था। अदालत ने ये दोनों ही मांग स्वीकार कर ली थी। 

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