By अभिनय आकाश | Oct 06, 2025
बसवा संस्कृति अभियान-2025 के समापन समारोह में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नम्मा मेट्रो का नाम बदलकर बसवा मेट्रो रखने की अपनी मंशा ज़ाहिर की। विश्वगुरु बसवन्ना, जो 12वीं शताब्दी के एक आध्यात्मिक नेता और जाति सुधार एवं सामाजिक समानता के प्रणेता थे, उनके नाम पर यह नाम रखा गया है। सिद्धारमैया ने कहा कि अगर यह पूरी तरह से राज्य सरकार की परियोजना होती, तो मैं आज ही इसकी घोषणा 'बसवा मेट्रो' कर देता।
बसवन्ना को विश्वगुरु बसवन्ना के नाम से भी जाना जाता है। 12वीं शताब्दी के लिंगायत दार्शनिक, कवि और राजनेता थे। उन्होंने दुनिया की पहली लोकतांत्रिक आध्यात्मिक सभा, अनुभव मंडप की स्थापना की और जातिगत पदानुक्रम के विरुद्ध एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे एक वर्गविहीन और जातिविहीन समाज का निर्माण हुआ। जनवरी 2024 में कर्नाटक सरकार ने उन्हें आधिकारिक तौर पर कर्नाटक का सांस्कृतिक नेता घोषित किया। सिद्धारमैया ने खुद को बसवन्ना का आजीवन प्रशंसक बताते हुए कहा कि संत की शिक्षाएँ शाश्वत हैं। उन्होंने बसव दर्शन और भारत के संवैधानिक मूल्यों, खासकर समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के बीच समानताएँ बताईं। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने संविधान में बसवन्ना की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया। शरण संस्कृति और संवैधानिक आदर्श एक ही हैं।
बसवन्ना की विरासत को और सम्मान देने के लिए सिद्धारमैया ने घोषणा की
बसव दर्शन का अध्ययन करने के लिए अगले वर्ष एक नया वचना विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा।
कर्नाटक के सभी सरकारी कार्यालयों में अब बसवन्ना का चित्र लगाना अनिवार्य है।
बसव के दृष्टिकोण के अनुरूप, सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु कल्याणकारी योजनाएँ और गारंटी तैयार की जा रही हैं।