By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 06, 2019
नयी दिल्ली। शीर्ष उपभोक्ता आयोग एनसीडीआरसी ने पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल और उसके डॉक्टर को 15 साल की एक लड़की के परिवार को हर्जाने के तौर पर 3.4 लाख रुपये देने को कहा है। सर्जरी में देरी के कारण लड़की की मौत हो गयी थी और आयोग ने कहा कि समय पर उपचार से उसके जीने की संभावना बढ़ जाती। स्वास्थ्य संबंधी कुछ दिक्कतों के कारण लड़की को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसे कहीं और इलाज कराने की सलाह दी गयी।
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जब उसके पिता ने कहीं और ले जाने में लाचारी जाहिर की तो डॉक्टरों ने देर रात लड़की का ऑपरेशन किया और कहा कि सर्जरी करने वाली टीम पहले उपलब्ध नहीं थी। बाद में उसकी स्थिति खराब होती गयी और सर्जरी टीम की मदद से वेंटिलेटर के साथ दूसरे अस्पताल में उसे भेज दिया गया। अगले दिन लड़की को मृत घोषित कर दिया गया। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा कि समय से इलाज होने पर जान बच सकती थी।
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आयोग ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदनीपुर में आरोग्य निकेतन नर्सिंग होम को एक लाख रुपये तथा इलाज करने वाले डॉक्टर मधुसूदन को लड़की के पिता को दो लाख रुपये देने के निर्देश दिए। दोनों को मुकदमे के खर्च के लिए लड़की के पिता को बीस-बीस हजार रुपये भी देने को कहा। एनसीडीआरसी के पीठासीन सदस्य एस एम कनिटकर और सदस्य दिनेश सिंह की पीठ ने कहा कि उपचार में 12 घंटे की देरी हुई, जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हुआ। हमारी नजर में सर्जरी करने वाली टीम का मौजूद नहीं रहना एक बहाना है। यह पूरी तरह लापरवाही है जिसके कारण हालत बिगड़ी।