कट्टरपंथी संगठनों को प्रतिबंधित करने की जरूरत, अजीत डोभाल के साथ मंच साझा कर बोले हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती, PFI का भी लिया नाम

By अनुराग गुप्ता | Jul 30, 2022

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शनिवार को अंतर-धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए एक बैठक की। इस बैठक अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीन परिषद के अध्यक्ष हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती समेत विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान अजीत डोभाल की मौजूदगी में हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने देश का माहौल खराब करने वालों को कड़ी चेतावनी दी।

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि संविधान के तहत हमारे मौलिक कर्तव्य क्या है ? हमें युवाओं को समझाने की जरूरत है। ये काम धर्मगुरुओं से बेहतर कोई नहीं कर सकता है। क्योंकि हिंदुस्तान एक धार्मिक मुल्क है। कहीं न कहीं, कोई न कोई हर धर्मगुरु से जुड़ा रहता है। हर धर्मगुरु के शिष्य और अनुयायी लाखों की तादाद में होते हैं। धार्मिक स्थल और धर्मगुरु अगर अपना योगदान दें तो यह जमीनी तौर पर काफी प्रभावी होगा।

उन्होंने कहा कि अब निंदा करने से काम नहीं चलेगा। कोई घटना होती है, कुछ गलत होता है तो हम निंदा करते हैं लेकिन अब निंदा करने से काम नहीं चलेगा। अब समय है कुछ करके दिखाने का, हमें जमीनी तौर पर काम करना पड़ेगा। कट्टरपंथी संगठनों पर लगाम लगाने और प्रतिबंधित करने के लिए समय की आवश्यकता है। चाहे वह कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो, जिसमें पीएफआई इत्यादि शामिल हैं। अगर उनके खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

वहीं अजीत डोभाल ने कहा कि दुनिया में संघर्ष का माहौल है, अगर हमें उस माहौल से निपटना है तो देश की एकता को एक साथ बनाए रखना जरूरी है। भारत जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उससे सभी धर्मों के लोगों को फायदा होगा।

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गौरतलब है कि भाजपा निलंबित नुपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद पनपे तनाव को कम करने के लिए एनएसए ने यह बैठक की। इससे पहले उन्होंने साल 2019 में अयोध्या विवाद पर फैसले के दौरान धार्मिक नेताओं के साथ बैठक की थी। दरअसल, नुपुर शर्मा की टिप्पणी के बाद उदयपुर और अमरवती में कट्टरपंथियों ने बेरहमी से कन्हैयालाल और उमेश कोल्हे की हत्या कर दी थी। जिसके बाद तनाव को समाप्त करने के लिए अजीत डोभाल ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की।

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