By अंकित सिंह | May 31, 2021
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार है। एनडीए में भाजपा और जदयू के अलावे जीतन राम मांझी की पार्टी हम और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी भी शामिल है। बिहार चुनाव में आए नतीजों के बाद सत्ता में रहने के लिए एनडीए को सहनी और मांझी की जरूरत लगातार है। मांझी और सहनी की पार्टी को चार चार सीटें हासिल हुई थी। इन्हीं 8 सीटों के मिलाकर भाजपा और जदयू गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार करने में कामयाब हुई थी। बताया जा रहा है कि दोनों नेता वर्तमान में नाराज चल रहे हैं। पिछले दिनों बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी पार्टी के प्रमुख पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी के बीच मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात ने बिहार की राजनीति में कई सियासी अटकलों को जन्म दे दिया है। इसके साथ ही साथ इस मुलाकात ने एनडीए में भी बेचैनी बढ़ा दी है। वर्तमान की बिहार की एनडीए सरकार के लिए दोनों नेता बहुत जरूरी है। इनमें से कोई भी नेता इधर-उधर हुआ तो बिहार में एनडीए का खेल पूरी तरह से बिगड़ सकता है।
दोनों नेताओं के मुलाकात के बाद सियासी चर्चा बढ़ने पर हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने राज्य की वर्तमान में स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों नेता राजनीति में है ऐसे में दोनों की मुलाकात में राजनीतिक बातें भी हुई होंगी। दानिश ने कहा कि राज्य में सुशासन और विकास को लेकर विचार विमर्श किया गया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में एनडीए पूरी तरह से मजबूत है। किसी के लिए भी कोई उम्मीद नहीं है। जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी दोनों नीतीश कुमार के साथ हैं। लेकिन मांझी और सहनी की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब हम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 2 जून को बुलाई गई है। माना जा रहा है कि 2 जून को जीतन राम मांझी कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं।
दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद हुए सियासी हलचल पर आरजेडी की ओर से बयान आया है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने तो यह तक दावा कर दिया कि इन दोनों नेताओं की मुलाकात रंग लाएगी और इस बरसात बिहार में एनडीए की नाव डूब जाएगी। मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि एनडीए सरकार में मांझी और सहनी की उपेक्षा की जा रही है। दोनों ही नेताओं के विचार को सुना नहीं जा रहा है। कोई भी फैसला लेने में इनकी सलाह नहीं ली जा रही है जबकि बिहार में एनडीए की सरकार इन्हीं के भरोसे है।
आपको बता दें कि जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी राज्यपाल कोटे से विधान परिषद की सीट मांग रहे थे लेकिन उन्हें नहीं मिला। मंत्री परिषद में एक एक मंत्री की और मांग कर रहे थे जो कि उन्हें नहीं दिया गया। इसके अलावा दोनों नेताओं ने पप्पू यादव की गिरफ्तारी के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।