रिजर्व बैंक की नई ऋण सुविधा से एनबीएफसी को शायद ही हो कोई खास फायदा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 16, 2018

रिजर्व बैंक की ओर से गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिये उपलब्ध कराई गई नयी आंशिक ऋण विस्तार सुविधा से नहीं लगता है कि उसके वांछित परिणाम मिलेंगे। शुक्रवार को जारी एक विश्लेषण रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिजर्व बैंक ने दो नवंबर को बैंकों को प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण एनबीएफसी द्वारा जुटाई गई पूंजी के मामले में आंशिक ऋण विस्तार सुविधा उपलब्ध कराने की अनुमति दी थी। यह सुविधा आवासीय वित्त कंपनियों के लिये भी उपलब्ध कराई गई। देश की प्रमुख रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक नोट में कहा है, ‘‘इस सुविधा के तहत एनबीएफसी और आवासी वित्त कंपनियों को जारी होने वाली राशि की मात्रा निम्न स्तर पर ही बनी रह सकती है।’’

ऋण विस्तार सुविधा एक प्रकार से किसी कर्ज जुटाने वाली संस्था की ऋण जुटाने की क्षमता में सुधार लाने का जरिया है। इस मामले में ये संस्थायें एनबीएफसी हैं। एनबीएफसी क्षेत्र इस समय नकदी उपलब्धता संकट से गुजर रहा है। संकट में फंस इस क्षेत्र के लिये ऋण आपूर्ति बढ़ाने के लिये रिजर्व बैंक पर दबाव बना हुआ है। ढांचागत परियोजनाओं के लिये धन उपलब्ध कराने वाली आईएल एण्ड एफएस कंपनी के जुटाये गये कर्ज पर ब्याज और मूल की समय पर अदायगी नहीं कर पाने से समूचा एनबीएफसी क्षेत्र संकट से घिर गया है। इस संकट के चलते सरकार ने पिछले महीने आईएल एण्ड एफएस के निदेशक मंडल को अपने हाथ में ले लिया। समूचे गैर बैंकिंग एवं आवासी वित्त कंपनियों को अपने विभिन्न ऋण दायित्वों को निभाने के लिये 1,000 अरब रुपये के आसपास की राशि चाहिये। इक्रा ने इस मामले में कारपोरेट क्षेत्र और एनबीएफसी को समान स्तर पर माना है। एजेंसी का कहना है कि कंपनी क्षेत्र को भी रिजर्व बैंक की आंशिक ऋण विस्तार सुविधा पिछले तीन साल से उपलब्ध है लेकिन वह इसके आधार पर कोई ऋण पत्र जारी नहीं कर पाया है। एजेंसी को यही डर सता रहा है कि एनबीएफसी के साथ भी ऐसा ही हो सकता है। इसके साथ ही पीसीई पर रिजर्व बैंक दिशानिर्देशों के मुताबिक इस सुविधा के तहत जो भी उधार मिला है वह 30 दिन में वापस करना पड़ जाएगा। 

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