नये शोध से खुली ओएलईडी अनुप्रयोग की कई संभावनाएं

By इंडिया साइंस वायर | May 09, 2023

भारतीय शोधकर्ताओं ने कार्बनिक अणुओं का एक नया परिवार तैयार किया है, जो निकट-अवरक्त (एनआईआर) रेंज में प्रकाश का उत्सर्जन करने में सक्षम है। इससे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए कार्बनिक प्रकाश उत्सर्जक डायोड (ओएलईडी) के उपयोग की संभावनाएं खुल सकती हैं। यह अध्ययन भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।


कार्बनिक प्रकाश उत्सर्जक डायोड, जिसे कार्बनिक इलेक्ट्रोल्यूमिनिसेंट डायोड के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड है जिसमें उत्सर्जक इलेक्ट्रोल्यूमिनिसेंट परत कार्बनिक यौगिक की एक फिल्म होती है जो विद्युत प्रवाह की प्रतिक्रिया में प्रकाश का उत्सर्जन करती है।


नाइट्रेशन का उपयोग करके शोधकर्ताओं को एनआईआर उत्सर्जन के साथ इलेक्ट्रॉन-न्यूनता वाले स्थिर अणु प्राप्त करने में सफलता मिली है। उनका कहना है कि यह दृष्टिकोण अद्वितीय है। यह अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि एनआईआर-उत्सर्जक ओएलईडी का विकास दुनियाभर में चुनौतीपूर्ण रहा है।

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शोधकर्ता बताते हैं - प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) छोटे प्रकाश उत्सर्जक उपकरण होते हैं, जिनका उपयोग आमतौर पर टेलीविजन स्क्रीन, गैजेट डिस्प्ले जैसे अनुप्रयोगों में होता है। वे पारंपरिक फिलामेंट बल्बों से भिन्न होते हैं, और बल्ब के गर्म होने पर प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।

 

दूसरी ओर, जब एलईडी से होकर बिजली (इलेक्ट्रॉनों के रूप में) गुजरती है, तो वे प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। एलईडी का एक रूप ओएलईडी है, जहाँ प्रकाश उत्सर्जक सामग्री के रूप में कार्बनिक अणु उपयोग होते हैं, जो एक प्रकार के रसायन हैं, और वो काफी हद तक कार्बन और हाइड्रोजन से बने होते हैं।


दृश्यमान प्रकाश उत्सर्जक ओएलईडी पहले से ही गैजेट एवं टीवी डिस्प्ले और प्रकाश व्यवस्था में बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहे हैं। लेकिन, आईआर उत्सर्जक ओएलईडी का उत्पादन उनकी विशिष्ट आणविक ऊर्जा संरचना के कारण चुनौतीपूर्ण रहा है। इसीलिए, इनके उपयोग को प्रोत्साहन नहीं मिल सका है। 


शोधकर्ता बताते हैं - अणुओं के भीतर उच्च ऊर्जा अवस्था (HOMO) से निम्न ऊर्जा अवस्था (LUMO) में इलेक्ट्रॉन गिरने पर प्रकाश उत्सर्जक अणु प्रकाश उत्पन्न करते हैं, और इस प्रकार उत्सर्जित प्रकाश का रंग दो अवस्थाओं के बीच ऊर्जा अंतर पर निर्भर करता है। कार्बनिक अणुओं में ऊर्जा अंतर दृश्यमान प्रकाश से मेल खाता है, जिससे दृश्य प्रकाश उत्सर्जक ओएलईडी डिजाइन करना आसान हो जाता है।


आईआईएसईआर, भोपाल के वैज्ञानिकों ने बहुत कम ऊर्जा वाले LUMO के साथ नये कार्बनिक अणु बनाये हैं। इसका मतलब यह है कि LUMO और HOMO के बीच ऊर्जा का अंतर छोटा हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप निकट-अवरक्त प्रकाश उत्पन्न होता है।


आईआईएसईआर, भोपाल के शोधकर्ता प्रोफेसर जयरामन शंकर, जिनके नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है, कहते हैं - "हमें पॉलीसाइक्लिक सुगंधित अणुओं वाले नाइट्रो समूह को प्राप्त करने में सफलता मिली है, जो निकट-आईआर तरंग दैर्ध्य में प्रतिदीप्ति (प्रकाश उत्सर्जन) पैदा करता है।"


ओएलईडी अनुप्रयोगों में उपयोग के अलावा, इन अणुओं की मजबूत इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता, एनआईआर उत्सर्जक प्रकृति, उच्च स्थिरता और रेडॉक्स मजबूती उन्हें उत्प्रेरक के लिए उत्कृष्ट उम्मीदवार बनाती है। इन अणुओं का उपयोग निकट-आईआर उपकरणों के लिए भी किया जा सकता है, जो कीमोथेरेपी प्रक्रियाओं के बाद दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।


निकट-आईआर-उत्सर्जक ओएलईडी के लिए संभावित अनुप्रयोगों का एक विस्तृत दायरा हो सकता है, जिनमें बायोमेडिकल सेंसर, शॉर्ट-रेंज संचार, नाइट विज़न और सुरक्षा शामिल हैं। इस खोज से जुड़े अनुप्रयोगों को चिकित्सा उपकरणों से लेकर उन्नत सुरक्षा गैजेट्स तक विस्तारित किया जा सकता है। 


यह अध्ययन रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के प्रतिष्ठित जर्नल - केमिकल साइंस - में प्रकाशित किया गया है। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में प्रोफेसर जयरामन शंकर के अलावा, रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर दीपक चोपड़ा और उनके शोध छात्र - कुंदन सिंह मेहरा, शिवांगी झा, और अनिला मेनन शामिल हैं। 


(इंडिया साइंस वायर)

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