निपाह वायरस के लक्षण क्या हैं, कैसे बच सकते हैं निपाह वायरस से?

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 28, 2018

निपाह वायरस अभी तक केरल में ही सामने आया है लेकिन इसकी दहशत पूरे देश में महसूस की जा सकती है क्योंकि सोशल मीडिया के जरिये इस वायरस के बारे में, इसके लक्षण और इससे बचने के उपायों के बारे में आधी अधूरी जो जानकारी फैलायी जा रही है उससे लोग परेशान हो रहे हैं। कुछ लोगों को जब यह कहते सुना कि केला खाने से निपाह वायरस हो रहा है तो जाहिर हुआ कि किस तरह लोगों तक गलत जानकारी पहुँचायी जा रही है। आइए इस लेख में जानते हैं निपाह वायरस आखिर है क्या और इससे कैसे बचा जा सकता है।

वायरस आखिर है क्या

 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह वायरस (NiV) है चमगादड़ों के जरिये इंसानों में फैलता है। वायरस का मुख्‍य स्रोत फल खाने वाले चमगादड़ (फ्रूट बैट) हैं। इन्हें फ्लाइंग फॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले मलेशिया में 1998 में हुई थी। भारत में इस वायरस का पहला मामला पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में 2001 में सामने आया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल के ही नादिया में अप्रैल 2007 में इस वायरस से जुड़े मामले सामने आये थे। इस वायरस से ग्रसित व्यक्ति को यदि तत्काल इलाज नहीं मिले तो वह जल्द ही कोमा में भी जा सकता है।

 

सरकारी रिपोर्ट कुछ और ही कहती है

 

लेकिन केरल के कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों से चमगादड़ों से एकत्रित नमूनों की जांच में उनमें निपाह विषाणु नहीं मिला है। यह बात एक केंद्रीय मेडिकल टीम ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कही है। कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह विषाणु के संक्रमण से 12 व्यक्तियों की मौत हो गई थी।

 

मेडिकल टीम अब निपाह विषाणु फैलने के अन्य संभावित कारणों का पता लगा रही है। बताया गया है कि कुल 21 नमूने एकत्रित किये गए थे जिसमें से सात चमगादड़, दो सूअर, एक गोवंश और एक बकरी या भेड़ से था। इन नमूनों को भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान और पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान भेजा गया था। इन नमूनों में उन चमगादड़ों के नमूने भी शामिल थे जो कि केरल में पेराम्बरा के उस घर के कुएं में मिले थे जहां शुरूआती मौत की सूचना मिली थी। इन नमूनों में निपाह विषाणु नहीं पाये गए हैं।

 

ऐसे लोग जिनके निपाह विषाणु से संक्रमित होने का संदेह था उनके नमूनों में भी यह विषाणु नहीं पाया गया है। इसका मतलब है कि इस विषाणु से संक्रमित होने वाले केवल 15 पुष्ट मामले हैं जिसमें से 12 ऐसे हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। तीन व्यक्तियों का इलाज चल रहा है। यही नहीं हिमाचल प्रदेश में मृत मिले चमगादड़ों के नमूने पुणे भेजे गए थे, उनमें भी यह विषाणु नहीं मिला है। इसके साथ ही हैदराबाद के संदिग्ध मामलों के दो नमूनों में भी यह विषाणु नहीं मिले हैं।

 

सरकार भी है गंभीर

 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से आग्रह किया है कि वे घबरायें नहीं। मंत्रालय ने कहा है कि निपाह विषाणु का फैलना केरल तक सीमित है। मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य देखभाल सुविधा मुहैया कराने वालों को बचाव उपाय करने की सलाह दी है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र निदेशक के नेतृत्व में एक केंद्रीय टीम केरल में स्थिति पर निरंतर नजर रखे हुए है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि रिपोर्ट में निपाह विषाणु फैलने में चमगादड़ और सूअर के मूल स्रोत होने से इनकार किया गया है।

 

निपाह वायरस के लक्षण क्या हैं?

 

इसके लक्षण दिमागी बुखार की तरह ही हैं। सांस लेने में दिक्‍कत, गले में दर्द, पेट में तेज दर्द, चक्कर आना, तेज सिरदर्द और फिर बुखार चढ़ने से इस बीमारी की शुरुआत होती है। इसके बाद बुखार दिमाग तक पहुंच जाता है, जिससे मरीज की मौत की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। 

 

क्या निपाह वायरस का कोई इलाज है?

 

बचाव ही इसका एकमात्र उपाय बताया जा रहा है क्योंकि अभी तक इस वायरस से बचाव की कोई वैक्सीन नहीं बन पायी है। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक हालांकि इस पर कार्य कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।

 

आखिर इस वायरस से कैसे बचा जाए

 

-जिन क्षेत्रों में यह वायरस फैला है यदि संभव हो तो उन क्षेत्रों की यात्रा पर नहीं जाएं।

 

-केरल से यदि फल आ रहे हैं तो फिलहाल उन्हें खाने से बचें खासकर केला, खजूर व आम को नहीं खाएं जो केरल से आये हों।

 

-जो भी फल खा रहे हैं उसे पहले पानी से अच्छी तरह धोएं।

 

-यदि आपके आसपास चमगादड़ रहते हैं तो प्रयास करें कि उनसे दूरी बनी रहे।

 

-जो व्यक्ति इस वायरस से ग्रसित है उससे भी बचें क्योंकि यह इंसानी संपर्क से भी फैलता है।

 

-जो लक्षण इस वायरस के बताये गये हैं यदि आपको भी ऐसा कुछ महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

-शुभा दुबे

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