By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 30, 2019
गोरखपुर/लखनऊ। सपा- बसपा- रालोद गठबंधन में शमिल होने के महज तीन दिन बाद निषाद पार्टी शुक्रवार रात अचानक महागठबंधन से अलग हो गयी और एक घंटे के अंदर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और पार्टी के अन्य नेताओं की लखनऊ में शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद किसी भी तरफ से कोई भी बयान सामने नहीं आया है। सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन को बड़ा झटका देते हुये शुक्रवार को निषाद पार्टी ने अपनी राहें जुदा करते हुये कहा कि वह अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि निषाद पार्टी आसन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा का दामन थाम सकती है।
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निषाद पार्टी के मीडिया प्रमुख निक्की निषाद उर्फ रितेश निषाद ने गोरखपुर में पीटीआई-भाषा से कहा कि निषाद पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच महाराजगंज लोकसभा सीट को लेकर मतभेद था, निषाद पार्टी इसे अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहती है जबकि समाजवादी पार्टी इसके लिये तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने को तैयार नही थे और उन लोगों ने पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया था । उन्होंने बताया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद जी गुरूवार शाम को लखनउ गये और उसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि निषाद पार्टी अब इस गठबंधन का हिस्सा नही है। उनसे पूछा गया कि सांसद प्रवीण निषाद ने भी समाजवादी पार्टी छोड. दी है इस पर उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी नही है। इस बारे में जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें निषाद पार्टी के ऐसे किसी फैसले के बारे में कोई जानकारी नही है।
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अभी तीन दिन पहले निषाद :निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल पार्टी ने मंगलवार को लखनउ में प्रेस कांफ्रेस में घोषणा की थी कि वह प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद गठबंधन का हिस्सा होगी। निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद हैं और उनके पुत्र प्रवीण निषाद ने 2018 के में सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा उपचुनाव जीता था। यह जीत इसलिये मायने रखती थी क्योंकि यह सीट उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनी लोकसभा सीट थी और वह पहले कई बार इस सीट से सांसद रह चुके है। निषाद पार्टी के सूत्रों ने बताया कि उनकी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ गोरखपुर समेत अन्य सीटों के बारे में बात हो रही है।