अमित शाह के अनुसार जनगणना "आधुनिक तकनीकों की मदद से अधिक वैज्ञानिक, सटीक और बहुआयामी" होगी। सरकार ई-जनगणना के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है। ई-जनगणना की शुरुआत के साथ देश की 50 प्रतिशत आबादी अपने फोन पर डाउनलोड किए गए मोबाइल एप्लिकेशन पर अपना डेटा फीड कर सकेगी। जन्म के समय जनगणना में एक व्यक्ति का नाम जोड़ा जाएगा। जब वे 18 साल के हो जाएंगे, तो नाम मतदाता सूची में शामिल हो जाएगा और मृत्यु के बाद, नाम हटा दिया जाएगा। जन्म और मृत्यु रजिस्टर को जनगणना से जोड़ा जाएगा। इसका मतलब है कि जनगणना देश में हर जन्म और मृत्यु के बाद अपने आप अपडेट हो जाएगी। गृह मंत्री के अनुसार, जनगणना के आंकड़े जनसांख्यिकीय परिवर्तन, आर्थिक मानचित्रण, विकास के मानकों में पीछे छूटे क्षेत्रों और सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक परिवर्तनों को प्रतिबिंबित कर सकते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ई-जनगणना में विभिन्न एजेंसियां शामिल होंगी और पते बदलने जैसी प्रक्रियाएं आसान होंगी। ऑनलाइन स्व-गणना के अलावा, जनगणना डेटा एकत्र करने के लिए प्रगणकों द्वारा घर का दौरा जारी रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घरों में आने वालों के पास टैबलेट या स्मार्टफोन होने की संभावना होगी, जो उन्हें सीधे एक पोर्टल में जानकारी दर्ज करेंगे। सितंबर 2020 में शाह द्वारा पहली बार एक ऑनलाइन जनगणना का उल्लेख किया गया था। फरवरी में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके लिए 3,786 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था।
आजादी से पहले और आजादी के बाद की जनगणनाभारतीय जनगणना के इतिहास को दो भागों में विभाजित करके देख सकते हैं। आजादी से पहले और आजादी के बाद की। किसी भारतीय शहर की पूरी जनगणना 1830 में हुई थी। जिसे ढाका (वर्तमान के बांग्लादेश की राजधानी) में हेनरी वाल्टर ने करवाई थी। इस जनगणना में लिंग, उम्र, घर जैसी चीजों की जानकारी लोगों से ली गई थी। 1866-67 में देश के अधिकतर हिस्सों में लोगों की गिनती की गई थी। जिसे 1872 के सेंसस के तौर पर जाना जाता है। 1881 के बाद हरेक 10 साल पर भारत में लगातार सेंसस हुए हैं। आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना हुई थी। 10 साल में होने वाली जनगणना अब तक 7 बार हो चुकी है। भारत सरकार ने इससे पहले अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के लिए घर-घर जाकर सूची तैयार करने तथा प्रत्येक घर की जनगणना के चरण में देश के सभी सामान्य निवासियों के संबंध में विशिष्ट सूचना जमा करके इस डेटाबेस को तैयार करने का कार्य शुरू किया था।
अगली जनगणना कब होगी?जनगणना मार्च 2020 में हाउस-लिस्टिंग चरण और एनपीआर गणना के साथ शुरू होने वाली थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। भारत के इतिहास में पहली बार इसमें देरी हुई है। जबकि जनगणना कब शुरू होगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि जून 2022 तक जिलों और अन्य नागरिक और पुलिस इकाइयों की सीमाओं में बदलाव न करें।
खुलेंगे एनआरसी के रास्ते?गृह मंत्रालय की तरफ से 2024 से पहले तक जनगणना रजिस्टर तैयार होने का दावा किया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार को देश में रहने वाले वैध नागरिकों की एक सूची मिल जाएगी जो वृहद-व्यापक और त्रुटिविहीन होगी। ये जनगणना रजिस्टर एनआरसी को तैयार करने के लिए ब्लूप्रिंट का काम कर सकता है। बड़ी बात ये है कि एनआरसी में भी सरकार उन नागरिकों का डेटा चाहती है जो भारत के वैध नागरिक हों और जनगणना रजिस्टर भी लगभग इनहीं आंकड़ों का दस्तावेज है। जनगणना रजिस्टर के एक बार तैयार हो जाने के बाद इसमें भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वालों के लिए अपना नाम दर्ज करवा पाना लगभग नामुकिन होगा।
-अभिनय आकाश