अब नहीं होगी देर, सुधारों का अगला दौर जल्द: निर्मला सीतारमण

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 06, 2019

मुंबई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार उसे मिले मजबूत जनादेश का इस्तेमाल जल्द ही आर्थिक सुधारों के नये दौर को आगे बढ़ाने के लिये करेगी और इस बार देर नहीं की जायेगी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अहम आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के असफल प्रयासों का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि पिछली बार राज्यसभा में सत्ता पक्ष की कमजोर संख्या की वजह से प्रयास सफल नहीं हो पाये थे। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण सहित कुछ अन्य क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के प्रयास सफल नहीं हो पाये थे।

इसे भी पढ़ें: निर्मला सीतारमण ने कहा- सहायता समूहों को ऋण देने में न हिचकें बैंक

कई विश्लेषकों ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को सुस्ती के मौजूदा दौर से बाहर निकालने के लिये भूमि और श्रम कानूनों के क्षेत्र में सरकार की ओर से सुधारों को आगे बढ़ाने के तुरंत प्रयास किये जाने चाहिये।सरकार के पास इस समय मजबूत जनादेश उपलब्ध है। दि इंडियन एक्सप्रेस के ‘अड्डा’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुये सीतारमण ने कहा कि... मुझे विश्वास है कि अब हम अपनी इस प्रतिबद्धता को दिखा सकते हैं कि सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया जाये। इस मामले में मोदी-2.0 को मिला जनादेश मदद मर सकता है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘हम उन सुधारों को आगे बढ़ायेंगे जिन्हें पिछली बार पूरा नहीं किया जा सकता था, लेकिन इस बार इसमें देरी नहीं होगी।’’

वित्त मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब भारतीय जनता पार्टी हाल में हुये हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन में सुधार नहीं ला पाई। हालांकि, इस दौरान पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्दों को काफी जोरशोर से उठाया था।राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना था कि गहराते कृषि संकट और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दे राष्ट्रीयता कार्ड पर हावी रहे। सीतारमण से जब यह पूछा गया कि हाल के विधानसभा चुनावों में क्या आर्थिक मुद्दे राजनीति पर हावी रहे?जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल, विशेषकर जो दल सत्ता में रहता है उसके लिये किसी मुद्दे को अलग रखना संभव नहीं होता है। 

इसे भी पढ़ें: GST को सरल बनाने से कारोबार सुगमता में भारत की रैंकिंग सुधरेगी: सीतारमण

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सरकार के लिये चाहे वह केन्द्र की हो या फिर राज्य की हो, मतदाताओं से यह कहना संभव नहीं है कि राष्ट्रीयता पर आप अपना मत मुझे दीजिये और मैं आर्थिक मुद्दों पर बात नहीं करना चाहता हूं।क्या मतदाता भी इतना दयालु हो सकता है कि ठीक है कि प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था को लेकर बातचीत नहीं करना चाहते हैं तो ठीक है हम भी अर्थव्यवस्था पर बातचीत नहीं करना चाहते हैं।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा अभी भी कुछ बाहरी कारकों जैसे कि जमीन, बिजली की ऊंची लागत और भू-उपयोग में बदलाव जैसे मुद्दों से कमजोर पड़ी है। ये मामले ऐसे हैं जो कि किसी एक कंपनी के दायरे से बाहर के हैं। लेकिन सरकार इन मामलों को सुगम बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘कारोबार सुगमता को वास्तव में हासिल करने के लिये कई चीजों के मामले में अभी लंबा रास्ता तय किया जाना है।’’

प्रमुख खबरें

दिल्ली के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं मनोज तिवारी, कन्हैया से लेकर बांसुरी स्वराज तक, जानें किसके पास है कितनी संपत्ति

अमेरिकी बैंक क्यों हो रहे दिवालिया?

Bihar: सियासी बयानबाजी के बीच लालू यादव की दो टूक, मुसलमानों को पूरा आरक्षण मिलना चाहिए

Vaishakh Amavasya 2024: पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए वैशाख अमावस्या के दिन जरुर करें ये उपाय