अब उर्वरकों का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं बिहार के किसान

By प्रेस विज्ञप्ति | Sep 12, 2025

राज्य सरकार अपने कृषि रोड मैप के जरिए मिट्टी के स्वास्थ्य प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है। जिससे उर्वरकों की प्रति हेक्टेयर खपत में कमी आई है। वर्ष 2020-21 में जहां यह खपत 207.60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी वहीं 2024 -25 में यह घटकर 172.57 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है। इससे पहले 2023-24 में यह 195.68 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था। आंकड़े बताते हैं कि बिहार के किसान अब अपने खेतों में रासायनिक उर्वरकों का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई जाने वाली जागरूकता मुहीम का असर अब बिहार में दिखने लगा है। अब किसान समझ चुके हैं कि खेतों में गैरजरूरी तौर पर उर्वरकों का इस्तेमाल मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है।

 

इसे भी पढ़ें: 'हमारा बिहार-हमारी सड़क' ऐप से ग्रामीण सड़कों को मिला नया जीवन


ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित तौर पर उर्वरकों का उपयोग और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन से न केवल बिहार में कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।


एनपीके का वैज्ञानिक अनुपात में इस्तेमाल कर रहे किसान

राज्य में सरकार द्वारा समेकित पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। कार्बनिक और जैविक स्रोतों के साथ रासायनिक उर्वरकों नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (एनपीके) के वैज्ञानिक अनुपात (4:2:1) में उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि हो सके। राज्य सरकार ने संतुलित उर्वरक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक मिट्टी जांच कार्यक्रम लागू किया है। राज्य के सभी जिलों में अब मिट्टी जांच की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है।

 

इसे भी पढ़ें: Bihar: युवाओं को उद्योग आधारित प्रशिक्षण से मिलेगा आत्मनिर्भरता का रास्ता


किसानों की आय और फसलों की गुणवत्ता बेहतर हो रही

बिहार सरकार का लक्ष्य है कि वैज्ञानिक अनुशंसाओं के अनुरूप उर्वरकों का उपयोग बढ़ाकर कृषि क्षेत्र में क्रांति लाई जाए, जिससे किसानों की आय और फसलों की गुणवत्ता में सुधार हो। इस दिशा में कामयाबी भी मिलती दिख रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कार्बनिक एवं जैविक स्रोतों के उपयोग के साथ समुचित पोषक तत्वों का प्रबंधन कर ही उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। फसल की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए उर्वरकों का संतुलित व्यवहार आवश्यक है। बिहार में प्रति हेक्टेयर रासायनिक उर्वरकों की खपत में आ रही कमी भविष्य को लेकर उम्मीद जगाती है कि बिहार पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

प्रमुख खबरें

Mulank 5 Love Life: लव लाइफ में कैसे होते हैं मूलांक 5 के लोग, पार्टनर के साथ करते हैं एडवेंचर, रिश्ते में रोक-टोक पसंद नहीं करते

Sydney Bondi Beach Shooting । बॉन्डी बीच पर गोलीबारी में 10 लोगों की दर्दनाक मौत, इलाके में दहशत

अर्जुन रामपाल ने कन्फर्म किया कि गर्लफ्रेंड गैब्रिएला से सगाई कर ली है, शादी से पहले कपल के दो बच्चे हैं

Pankaj Chaudhary बने उत्तर प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष, CM Yogi समेत अन्य नेताओं ने दी बधाई