कोलकाता। विख्यात परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष
डॉ शेखर बसु का यहां एक निजी अस्पताल में बृहस्पतिवार को कोविड-19 से निधन हो गया। वह 68 वर्ष के थे। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा, डॉ बसु कोविड-19 और किडनी संबंधित अन्य रोग से पीड़ित थे। सुबह चार बजकर पचास मिनट पर उनका निधन हो गया। मैकेनिकल इंजीनियरडॉ बसु को देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत की परमाणु ऊर्जा से संचालित पहली पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत के लिए बेहद जटिल रियेक्टर के निर्माण में बसु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विख्यात परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष शेखर बसु के निधन पर शोक प्रकट करते हुए परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारत को अग्रणी देशों में स्थापति करने में उनकी भूमिका की सराहना की। बसु का बृहस्पतिवार को कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोविड-19 से निधन हो गया। वह 68 वर्ष के थे। मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘विख्यात परमाणु वैज्ञानिक शेखर बसु के निधन पर शोक की इस घड़ी में मैं परमाणु ऊर्जा बिरादरी के साथ हूं। उन्होंनेपरमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भारत को अग्रणी देशों में स्थापति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और मित्रों के साथ है। ओम शांति।’’ राष्ट्रपति ने वैज्ञानिक डॉ शेखर बसु के निधन को राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया।