Nvidia के सीईओ जेनसेन हुआंग ने अमेरिकी निर्यात नीति को बताया 'बड़ी भूल, खोया 95% मार्केट शेयर

By Ankit Jaiswal | Oct 20, 2025

6 अक्टूबर को आयोजित सिटाडेल सिक्योरिटीज फ्यूचर ऑफ ग्लोबल मार्केट्स 2025 इवेंट में कहा कि अमेरिका की यह नीति एनवीडिया के लिए चीन में बाजार को पूरी तरह बंद कर चुकी है। उन्होंने कहा, “हमारी 95% मार्केट शेयर से 0% तक गिर गई है। किसी भी नीति निर्माता के लिए यह सोचना मुश्किल है कि यह कोई अच्छा विचार था।”


बता दें कि चीन एनवीडिया का दूसरा सबसे बड़ा कंप्यूटर मार्केट है और यहां एक जीवंत टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम मौजूद हैं। हुआंग ने चेतावनी दी कि अमेरिका द्वारा चीन को तकनीकी पहुंच से वंचित करना दोनों देशों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह नीति केवल चीन के प्रतिद्वंदियों जैसे हुवावे को लाभ पहुंचाएगी और अमेरिका की तकनीकी लीडरशिप को नुकसान पहुंचा सकती है।


मौजूदा जानकारी के अनुसार, एनवीडिया के उन्नत एआई चिप्स, जैसे A100, H100 और H200, 2022 से चीन को निर्यात करने पर प्रतिबंधित हैं। हाल ही में कंपनी को चीन के लिए विशेष रूप से तैयार H20 चिप बेचने की अनुमति मिली थी, लेकिन बीजिंग ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस पर चिंता व्यक्त की हैं।


हुआंग ने यह भी कहा कि चीन के डेवलपर्स विश्व स्तर की एआई रिसर्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वहां के 50% एआई शोधकर्ता अमेरिकी तकनीक पर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर चीन के शोधकर्ता अमेरिकी तकनीक का उपयोग न करें, तो वैश्विक इनोवेशन पर असर पड़ेगा।


गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने एनवीडिया को इस विवाद में फंसा दिया है। अमेरिका ने हाल ही में कंपनी से चीन में कुछ एआई चिप्स की बिक्री पर 15 प्रतिशत राजस्व देने की पुष्टि की हैं। वहीं, चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हवाले से कंपनियों को स्थानीय सेमीकंडक्टर सप्लायर्स पर भरोसा करने की सलाह दी हैं।


हुआंग ने कहा कि एनवीडिया केवल उन देशों के बाजार में सेवा दे सकती है, जो इसे स्वीकार करें। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि नीति में बदलाव की संभावना बनी रहेगी और कंपनी चीन सरकार और कंपनियों के सहयोग के लिए तैयार हैं।


मौजूदा जानकारी के अनुसार, चीन की सायबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने कंपनियों को एनवीडिया की प्रतिबंधित चिप्स के परीक्षण और खरीद योजनाओं को रोकने का निर्देश दिया हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और हुवावे जैसी कंपनियों को सशक्त करने की रणनीति का हिस्सा हैं।

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