सियासी परिवार ने आने के बावजूद उमर अब्दुल्ला ने अपने दम पर हासिल किया राजनीति में बड़ा मुकाम

By अंकित सिंह | Mar 10, 2022

जम्मू कश्मीर की राजनीति में परिवारवाद का खूब बोलबाला रहा है। देश की राजनीति में जब भी परिवारवाद का जिक्र आएगा उसमें जम्मू कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार का भी नाम शामिल होगा। वर्तमान में देखें तो अब्दुल्ला परिवार की राजनीति को उमर अब्दुल्ला आगे बढ़ा रहे हैं। उमर अब्दुल्ला को राजनीति विरासत में मिली है। अब्दुल्ला परिवार के वह तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं। वह शेख अब्दुल्ला के पोते और फारूक अब्दुल्ला के बेटे हैं। शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री और बाद में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि फारूक अब्दुल्ला भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता हैं जो केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी कई बड़े पदों पर रह चुके हैं। फारुख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 

 

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उमर अब्दुल्ला का जन्म 10 मार्च 1970 को इंग्लैंड में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा जम्मू कश्मीर में ही हुई। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए वह मुंबई और स्कॉटलैंड भी गए। उमर अब्दुल्ला ने रिटायर आर्मी ऑफिसर रामनाथ की बेटी पायल नाथ से शादी की थी। हालांकि अब वे दोनों अलग हो चुके हैं। जबकि उमर अब्दुल्ला के बहनोई सचिन पायलट हैं। उमर अब्दुल्ला ने युवावस्था में ही राजनीति में आने का निर्णय किया। 28 साल की उम्र में उन्होंने 1998 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1999 में भी तेरहवीं लोकसभा में उन्हें जीत मिली और केंद्र में वह मंत्री बनाए गए। हालांकि पार्टी के कामकाज को ध्यान में रखते हुए उन्होंने मंत्री पद से 2002 में इस्तीफा दे दिया। जून 2002 में ही अपने पिता फारुख अब्दुल्ला की जगह वह नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष बन गए।


मार्च 2006 में केंद्र की अस्वीकृति के बावजूद भी उमर अब्दुल्ला पाकिस्तान दौरे पर गए थे और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से बातचीत की थी। यह जम्मू कश्मीर के मुख्य धारा के राजनेता और पाकिस्तानी सरकार के बीच अपनी तरह की पहली बैठक थी जिसमें जम्मू कश्मीर के मसले को हल करने का मुद्दा उठाया गया था। 2008 में उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा में एक भाषण दिया था जिसकी खूब प्रशंसा हुई थी। 2008 में जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हुए। नेशनल कांफ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के 11 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। उमर अब्दुल्ला 8 जनवरी 2015 तक जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे। 

 

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अगस्त 2019 में जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया जा रहा था उस समय उन्हें हिरासत में लिया गया था। उमर अब्दुल्ला लगातार धारा 370 के पक्ष में खड़े रहे और वे इसे जम्मू-कश्मीर की हक बताते रहे हैं। बाद में हिरासत से मुक्त होने के बाद उमर अब्दुल्ला एक बार फिर से जम्मू कश्मीर की राजनीति में सक्रिय हुए। धारा 370 के हटने का विरोध करने वाले नेताओं ने एक नया गठबंधन बनाया जिसमें उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं। कुल मिलाकर देखें तो उमर अब्दुल्ला केंद्र की राजनीति के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी बात रखते हैं। उमर अब्दुल्ला पर अब्दुल्ला परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है जिसे वह करते दिखाई दे रहे हैं।

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