डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन 70 फीसदी अधिक संक्रामक, सामान्य लक्षणों को देखकर लापरवाह हो जाना खतरनाक

By अभिनय आकाश | Jan 02, 2022

ओमिक्रॉन की बढ़ती दहशत के बीच देशभर के एक्सपर्ट्स लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। वो इस नए वेरिएंट के बारे में हर छोटी-छोटी जानकारियां  लोगों तक पहुंचा रहे हैं ताकि लोग समय रहते सावधान हो सके। डॉक्टर्स ओमिक्रॉन के व्यवहार पर बारिकी से नजर रख रहे हैं और इस नये खतरे को लेकर ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं। 

ओमिक्रॉन का असर सबसे ज्यादा शरीर के किस हिस्से पर

एक्सपर्ट के अनुसार अभी तक ये देखने में आया है कि ओमिक्रॉन की वजह से बहुत हल्की बीमारी हो रही है। इनकी वजह से फेफड़ों में पैचेज भले हो रहे हो। लेकिन कोई बड़ा नुकसान नहीं हो रहा है। हालांकि ये शुरुआती डेटा है और ये देखने के लिए इंतजार करना होगा कि भारी संख्या में केस आने पर भी ये हल्की बीमारी रहने वाला है या नहीं। डेल्टा में भी शुरुआत में इतने गंभीर मामले देखने को नहीं मिले थे लेकिन जब संक्रमितों की संख्या बढ़ी तो इनकी गंभीरता उभर कर सामने आई।  

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ओमिक्रॉन के मरीजों के ऑक्सीजन मात्रा कैसी

ओमिक्रॉन के बहुत कम मरीजों में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल कम पाया गया है। शुरू में कहा जा रहा था कि इसका बिल्कुल असर नहीं है। लेकिन जब इंग्लैंड में पहली मौत की खबर सामने आई तो हर कोई सावधान हो गया। भारत में भी एक भी मामले में मरीज को आईसीयू, ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ी है, रूम ऑक्सीजन पर ही मेंटेन कर रहे थे, सभी।

60 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक 

श्वसन विभाग के निदेशक डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि यह गलत धारना है कि ओमिक्रोन एक हल्के लक्षण वाला वैरिएंट है लेकिन यह बिमारी हल्की नहीं है और यह फैलती भी जल्दी है। अगर सक्रिय लोगों की तादाद बढ़ेगी तो उनमें से कोई न कोई दुर्भाग्यवश गंभीर रूप से बीमार भी होगा। साउथ अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन में बाकायदा इसकी रिपोर्ट भी प्रकाशित की है। यूके में भी रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं। यह डेल्टा की तुलना में 60 से 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक है।

 

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