Operation Lotus: 6 साल, सात राज्य और 60% कारगर, जीत के बगैर सत्ता हासिल करने का अचूक फॉर्मूला

By अभिनय आकाश | Jun 23, 2022

पिछले दो दिनों से आपने टीवी या अखबार देखा होगा तो महाराष्ट्र का सियासी संकट, महाराष्ट्र में किसकी बनेगी सरकार, बीजेपी ने चलाया ऑपरेशन लोट्स इस तरह की हेडिंग्स के साथ खबरें आ रही हैं। बेंक्रिंग न्यूज कौन किसके होटल में पहुंचा, क्या खाया कौन  क्या बोल रहा है, बैठकों का दौर चल रहा है, वगैरह,वगैरह। महाराष्ट्र के कद्दावप नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की। पहले मंगलवार को सूरत में ठहरे बागी विधायक बुधवार की सुबह गोवाहाटी पहुंच चुके हैं। 25 बागी विधायकों से शुरू हुआ ये आंकड़ा 40 से 45 तक का बताया जा रहा है। इस सारे खेल के पीछे बीजेपी का हाथ बताया जा रहा है। पिछले 6 सालों में 7 राज्यों में बीजेपी ऑपरेशन लोटस चला चुकी है। जिसमें चार बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब रही हैं, तो वहीं 3 बार फेल हो गई। आइए जानते हैं कहां से इसकी शुरूआत हुई, कब और कहां-कहां इसका प्रयोग कर सरकार बनाने का आरोप लगा।

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कब से हुई ऑपरेशन लोट्स की शुरुआत

ऑपरेशन लोटस सबसे पहले साल 2004 में चर्चा में आया था जब बीजेपी ने कर्नाटक में धरम सिंह की सरकार गिराने की कोशिश की थी। तब विपक्ष ने ही इसे ऑपरेशन लोटस का नाम दिया था। फिर ये मीडिया के जरिए खूब प्रचारित किया गया। इसके बाद साल 2008 में इस ऑपरेशन के तहत बीजेपी ने कर्नाटक में सरकार बनाई। कहा जाता है यहां से ऑपरेशन लोटस की शुरूआत हुई। 

ऐसे काम करता है ऑपरेशन लोट्स

ये बीजेपी के ऑपरेशन लोट्स का वो चैप्टर है जिसमें पर्दे के पीछे से काम किया जाता है। किसी राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी इस ऑपरेशन के तहत दो तहर के प्लान पर काम करती है। 

पहला- विपक्ष पार्टी के नाराज गुट को अपने पाले में करके सरकार बनाने की कोशिश। 

दूसरा- छोटे दल और निर्दलीयों को अपनी ओर करके सरकार बना लेना। 

महाराष्ट्र में बीजेपी इसी फॉर्मूले पर काम कर रही है। राज्यसभा चुनाव के दौरान इसका सफल प्रयोग भी किया गया। 10 जून को महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव हुए और बीजेपी ने 3 सीटें जीत ली। जबकि बाकी 3 महाविकास अघाड़ी के खाते में गई। इस दौरान बीजेपी को विपक्षी दल के 10 विधायकों का वोट मिला। फिर एमएलसी चुनाव हुआ तो ये संख्या बढ़कर 21 विधायकों तक चली गई। अंदर खाने ये खबर सामने आई कि इन दोनों चुनाव में जो गेम हुआ वो एकनाथ शिंदे के इशारे पर हुआ था। फिर विधान परिषद चुनाव में शिवसेना के बागी विधायकों ने वोट किया तो इस पर मुहर लग गई।  

कर्नाटक 

कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार में 8 विधायकों ने इस्तीफा दिया। गठबंधन सरकार गिर गई। फिर विधायकों ने बीजेपी से उपचुनाव लड़ा। कर्नाटक में कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 434 दिन चली जेडीएस-कांग्रेस सरकार को गिराकर वहां बीजेपी की सरकार बन गयी और सत्ता की कमान बीएस येदियुरप्पा ने संभाली। 

मध्य प्रदेश 

20 मार्च 2020 का दिन मध्य प्रदेश की सियासत के लिहाज से सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इसी दिन दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी, जबकि उनके साथ उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। जिसके चलते कमलनाथ सरकार अल्पमत में आई और कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

गोवा

साल 2017 में ही गोवा में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन यहां फिर से कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही। गोवा में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। दो तिहाई से ज्यादा होने के चलते प्रदेश में दलबदल कानून भी नहीं लग सकता और राज्य में भगवा पार्टी की सरकार बन गई। 

उत्तराखंड 

2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस के 9 विधायक बर्खास्त हो जाते हैं और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाता है।  इन विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहरा दिया इसके बाद, कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। 

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2016 में अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 46 में ले 42 विधायक पीपीए में शामिल हो गए थे। जिसके बाद बीजेपी ने पीपीए के साथ मिलकर सरकार बना ली। 

राज्थान विधानसभा में कुल 200 विधानसभा की सीटें हैं यहां सरकारबनाने के लिए किसी को भी 101 सीटों की दरकार होती है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा छुआ। बसपा और निर्दलीयों को अने पाले में कर सीएम अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी मजबूत करने की कोशिश की।   पायलट और गहलोत की अंतकर्लह सार्वजनिक मंच पर कई बार खुलकर सामने आई। मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में सचिन पायलट की नाराजगी का फायदा उठाने की कई कोशिशें हुईं, लेकिन ये कोशिशें सफल नहीं हो पाई। एक राजनीतिक घटनाक्रम में 11 जुलाई 2020 को सचिन पायलट पार्टी से नाराजगी के चलते अपने 30 विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए थे। बीजेपी मौके का फायदा उठाना चाहती थी, लेकिन मध्य प्रदेश की घटना से सीख लेते हुए कांग्रेस के आलाकमान ने बिना देरी के सचिन पायलट को मनाया और उनकी नाराजगी दूर की। 

 महाराष्ट्र

23 नवंबर 2019 की तारीख महाराष्ट्र के इतिहास में दर्ज हो गयी। उस सुबह जिन लोगों ने अखबार पढ़ा और फिर टीवी देखा, वे लोग कश्मकश में थे कि आखिर किस पर यकीन करें। अखबार में हेडलाईन थी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे होंगे लेकिन टीवी पर तो बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस शपथ लेते नजर आ रहे थे। उनके पीछे एनसीपी के अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जिसके बाद जो हुआ वो इतिहास है। शरद पवार के राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा मोड़ जब शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे।

-अभिनय आकाश 

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