By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 12, 2021
गुवाहाटी। असम विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन सोमवार को पूरे विपक्ष ने बहिर्गमन किया, क्योंकि विधानसक्षा अध्यक्ष ने ईंधन और अन्य जरूरी चीजों की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कांग्रेस, आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और अन्य जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर चर्चा के लिए तीन स्थगन प्रस्ताव दिए, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
अध्यक्ष ने संबंधित विपक्षी सदस्यों को विषय की स्वीकार्यता पर बोलने की अनुमति देने से पहले कहा कि उन्होंने तीन स्थगन प्रस्तावों को रद्द करने का फैसला किया है क्योंकि यह विषय राज्य सरकार के तहत नहीं आते हैं। इससे सदन में हंगामा होने लगा और विपक्षी सदस्यों ने गैर-सत्तारूढ़ दलों की शिकायतों को स्वीकार करने की विधानसभा की परंपराओं का पालन नहीं करने के लिए अध्यक्ष की आलोचना की। निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने कहा, “महंगाई राज्य सरकार का मुद्दा क्यों नहीं है? यह राज्य के सभी लोगों को प्रभावित करता है।” इस पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विपक्ष से पूछा कि किस नियम के तहत अध्यक्ष को स्थगन प्रस्ताव की स्वीकार्यता पर चर्चा की अनुमति देनी चाहिए। कांग्रेस विधायक रकीब उल हुसैन ने कहा, यह सदन की परंपरा है।विषय की स्वीकार्यता पर बात करने से पहले, अध्यक्ष नोटिस कैसे रद्द कर सकते हैं? सदन में हंगामा होने पर दैमारी ने विपक्ष को नोटिस की स्वीकार्यता पर बोलने की अनुमति दी और कहा कि इस मामले पर विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति की अगली बैठक में चर्चा की जाएगी।
प्रस्ताव रखते हुए, विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि इस साल जनवरी से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 71 बार वृद्धि हुई है और कोविड-19 महामारी के बाद से अनुमानित तौर पर 2.5 करोड़ लोगों की नौकरी गई है। माकपा विधायक मनोरंजन तालुकदार ने कहा कि असम सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर भारी कर लगाया है और केंद्र ने पहले राज्यों से कीमतों को कम करने के लिए शुल्क में कटौती करने को कहा था। संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने सरकार का नजरिया रखते हुए कहा कि राज्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में सीधे तौर पर शामिल नहीं है। अध्यक्ष ने इसके बाद तीनों नोटिसों को यह कहते हुए खारिज दिया कि ये वस्तुएं राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं। इसके बाद पूरा विपक्ष ने अध्यक्ष की व्यवस्था का विरोध किया और तख्तियों के साथ अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और सभी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।